उमेश तिवारी
पानी के अवैध कारोबार से शहरी क्षेत्र में जहां एक ओर पेयजल संकट गंभीर होते जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर सरकार और पेयजल का कारोबार करनेवाली कई बड़ी नामी कंपनियों को भी घाटा उठाना पड़ा रहा है। राज्य में पांच हजार से भी अधिक पानी के अवैध कारोबारी हैं। वे बड़े पैमाने पर भू-जल का दोहन कर रहे हैं। इससे भू-जल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। इसके अलावा वे लोगों को मिनिरल विहिन पानी बेच रहे हैं। इसी मुद्दे को लेकर सोमवार को वेस्ट बंगाल पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर मैन्यूफैक्चरिंग वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से घुसुड़ी में एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया था। सम्मेलन में एसोसिएशन के संयोजक डा.हरेन्द्र सिंह ने बताया कि पूरे पश्चिम बंगाल में 470 के लगभग वैध पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट है। वहीं दूसरी ओर पूरे राज्य में पांच हजार से भी ज्यादा पेयजल के अवैध कारोबारी है जो लोगों को अस्वास्थ्यकर पानी पिला रहे हैं। कम कीमत होने के कारण लोग इसे खरीदते भी हैं। उन्होने बताया कि ये तीन तरह से नुकशान पहुंचा रहे हैं, लोगों को शारीरिक रूप से, सरकार को आर्थिक और हमारा आर्थिक और मानसिक रूप से। इन अवैध कारोबारियों के पास इस कारोबार से संबंधित कोई वैध लाइसेंस नहीं है, फिर भी बेखौफ जमीन से पानी का दोहन कर रहे हैं। वे सरकार को जीएसटी भी नहीं दे रहे हैं जिससे सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकशान हो रहा है। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन, पुलिस कमिश्नर, निगम के आयुक्त, जिलाशासक सहित संबंधित विभाग को इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए ज्ञापन भी दिया गया है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि जल्द से जल्द पानी के अवैध कारोबारियों के खिलाफ मुहिम चलाए।
इस मौके पर एसोसिएशन के सचिव संजीव नाग, चेयरमैन जितेन्द्र सुराणा, संयुक्त सचिव देवरंजन घोषाल, उपाध्यक्ष सुदीप घोष, कोषाध्यक्ष नवीन जयरामका, सुरेश शर्मा सहित संस्था के सभी सदस्य उपस्थित थे।