हावड़ा, संवाददाता : केंद्र सरकार से सरना धर्म को मान्यता देने की मांग को लेकर झारखंड, बिहार, ओडिशा, असम और बंगाल के विभिन्न जिलों से हजारों आदिवासियों ने शुक्रवार को कोलकाता के रानी रासमनी एवेन्यू में एकत्रित होकर प्रदर्शन किया और रैली की। बंगाल में दुर्गा पूजा की गहमागहमी के बीच प्रदर्शनकारियों के जुलूस के कारण शुक्रवार सुबह हावड़ा व कोलकाता में कुछ देर के लिए यातायात सेवा भी पूरी तरह बाधित हो गई, जिससे लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ा। रैली में करीब 25,000 आदिवासी जुटे थे। पुलिस को ट्रैफिक व्यवस्था को सामान्य करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। आदिवासी सेंगेल अभियान के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने केंद्र से सरना धर्म को मान्यता देने के साथ कुड़मी समाज को आदिवासी का दर्जा देने की अपनी मांग को लेकर आवाज बुलंद की। पूर्व सांसद सालखन मुर्मु के नेतृत्व में हुई इस रैली के जरिए आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने शक्ति प्रदर्शन किया। रैली के दौरान आदिवासी नेताओं ने अपनी मांगों को लेकर कोलकाता के बाद दिल्ली में भी प्रदर्शन की घोषणा की। इधर, पुलिस ने कहा कि ज्यादातर आदिवासियों ने हावड़ा स्टेशन से कोलकाता में प्रवेश किया। जिसकी वजह से सुबह आफिस टाइम में हावड़ा ब्रिज और मध्य कोलकाता क्षेत्र में लोगों को जाम का सामना करना पड़ा। अधिकारियों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों के जुलूस व भीड़ के कारण काफी व्यस्त रहने वाले हावड़ा ब्रिज पर करीब 45 तक आवाजाही पूरी तरह बंद रही। इससे कोलकाता व हावड़ा को जोडऩे वाले इस ब्रिज के दोनों ओर लंबा जाम लग गया। बाद में स्थिति सामान्य हुई।
बता दें कि इससे पहले हाल में बंगाल, झारखंड व ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्र में कुर्मी समुदाय के लोगों ने एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर पांच दिनों तक रेल रोको आंदोलन किया था। इसके चलते खासकर बंगाल के पुरुलिया व पश्चिम मेदिनीपुर जिले में ट्रेन सेवा खासा प्रभावित हुई थी। दक्षिण पूर्व रेलवे को पांच दिनों में 250 से ज्यादा ट्रेनों को रद करना पड़ा था।
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