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वेस्ट बंगाल सिविल सर्विस परीक्षा से हिंदी, उर्दू और संथाली भाषा को हटा देने को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व सांसद सुकांत मजूमदार ने राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की

 

हावड़ा. वेस्ट बंगाल सिविल सर्विस परीक्षा से हिंदी, उर्दू और संथाली भाषा को हटा देने को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व सांसद सुकांत मजूमदार ने राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक काम करने के लिए बांग्ला भाषा का ज्ञान होना जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरी भाषा में पढ़ाई कर आने वाले परीक्षार्थियों को किसी परीक्षा से सिर्फ भाषा के आधार पर वंचित कर दें. शनिवार शाम को श्री मजूमदार शरत-सदन में आयोजित पश्चिम बंगाल में भाषाई अल्पसंख्यक लोगों की वर्तमान स्थिति नामक एक कार्यक्रम में पहुंचे थे.

 

भाजपा नेता ने कहा कि हिंदी, उर्दू और संथाली मीडियम स्कूलों के विद्यार्थियों को बांग्ला पढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने शिक्षक की नियुक्ति नहीं की है. बांग्ला भाषा पढ़ाने के लिए इन स्कूलों में कोई व्यवस्था नहीं है. जब सरकार बांग्ला विषय पढ़ा नहीं सकती है, तो सिविल सर्विस परीक्षा से इन भाषाओं को हटाने का भी अधिकार उन्हें नहीं है. यह सरासर हिंदी, उर्दू और संथाली मीडियम स्कूलों से पढ़कर आने वाले विद्यार्थियों के साथ नाइंसाफी है. श्री मजूमदार ने कहा कि राज्य में रहने वाले हिंदीभाषी लोग बांग्ला भाषा से बेहद प्यार करते हैं. वे बांग्ला बोलते और समझते भी हैं. मैं ऐसे कई हिंदीभाषी साहित्यकारों को जानता हूं, जिन्होंने बांग्ला भाषा में किताबें भी लिखी हैं. सरकार का यह फैसला निश्चित तौर पर अनुचित है. वहीं, मुर्शिदाबाद के डोमकल में हुई कांग्रेस नेता की हत्या के बारे में पूछे जाने पर भाजपा नेता ने कहा कि इस घटना में तृणमूल कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष गिरफ्तार हुए हैं. वह अपने साथ बंदूक लेकर घुम रहे थे और पुलिस ने उन्हें बंदूक के साथ गिरफ्तार किया. हैरान करने वाली बात यह है कि वह पुलिसकर्मियों को बोलते हुए नजर आ रहे हैं कि वह तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं और उन्हें छोड़ दिया जाये.

 

 

ऐसा तब है जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने निर्देश दिया था कि अवैध रूप से हथियार रखने वालों को गिरफ्तार किया जाये. उन्हो‍ंने कहा कि पिछले पंचायत चुनाव में मुर्शिदाबाद में 10 से अधिक हत्याएं हुई थीं, लेकिन इस बार भाजपा चुप बैठने वाली नहीं है. वर्ष 2018 की तुलना में 2023 की भाजपा बदल चुकी है. तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता अब बूथ लूटना भूल जाये. नामांकन के लिए महज पांच दिन दिये जाने के बारे में उन्होंने कहा कि राज्य चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जायेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस नहीं चाहती है कि राज्य में पंचायत चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो. पूरे राज्य में 70 हजार बूथ हैं, जबकि पुलिसकर्मियों की संख्या बूथों की तुलना में आधी है. ऐसी स्थिति में चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से कैसे संपन्न हो सकता है.

 

 

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