
बंगाल के खासकर हिंदी बहुल इलाकों में इस समय जगह-जगह गली- मुहल्लों में छठ पूजा के पारंपरिक गीत भी पिछले दो दिनों से बज रहे हैं, जिससे छठ की छटा यहां देखते ही बन रही है।कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए…, बन ना बलमजी कहरियां, दौरा घाटे पहुंचाई…, पटना से केरवा मंगइनी, बलका दिहलें जुठियाए…., … ऊग ये सूरज देव, भईल अरग के बेर’ जैसे छठ पूजा के परंपरागत गीत ने यहां पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिए हैं।
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