बूंदी
बूंदी देश के 52वे और राजस्थान के चौथे टाइगर रिजर्व रामगढ़ टाइगर रिज़र्व में अब दहाड़ की नई गूंज सुनाई देने लगी है। मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिज़र्व से लाई गई बाघिन PN-224 को रामगढ़ टाइगर रिज़र्व के बजालिया क्षेत्र में तैयार किए गए सॉफ्ट एनक्लोजर में सुरक्षित रूप से रिलीज कर दिया गया। इसके साथ ही राजस्थान में बाघ संरक्षण के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया। बाघिन को विशेष कैरियर बॉक्स में सुरक्षित रखते हुए रविवार रात करीब साढ़े दस बजे हेलीकॉप्टर के माध्यम से पेंच टाइगर रिज़र्व से जयपुर लाया गया। इस दौरान हेलीकॉप्टर की सुरक्षित लैंडिंग, टेकऑफ और कैरियर बॉक्स की लोडिंग की पूरी प्रक्रिया तय प्रोटोकॉल के तहत की गई। ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना और वन विभाग की टीमों ने बेहतरीन समन्वय के साथ कार्य किया। जयपुर पहुंचने के बाद बाघिन को कड़े सुरक्षा इंतजामों और विशेष प्रोटोकॉल के तहत सड़क मार्ग से बूंदी लाया गया। सोमवार सुबह रामगढ़ टाइगर रिज़र्व पहुंचने पर बाघिन का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, जिसके बाद उसे बजालिया स्थित सॉफ्ट एनक्लोजर में छोड़ा गया। इस दौरान कोटा सीसीएफ सुगनाराम जाट, डीएफओ अरुण कुमार डी सहित वन विभाग, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद रहे।
पहले एनक्लोजर, फिर खुले जंगल में होगी रिहाई
डीएफओ अरुण कुमार डी ने बताया कि बाघिन को फिलहाल विशेष सॉफ्ट एनक्लोजर में रखा गया है, जहां उसके व्यवहार, स्वास्थ्य और नए वातावरण के प्रति अनुकूलन की लगातार निगरानी की जाएगी। जब बाघिन पूरी तरह स्वस्थ, शांत और जंगल के अनुकूल पाई जाएगी, तब उसे चरणबद्ध तरीके से खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। इसके बाद रामगढ़ के जंगलों में उसकी असली दहाड़ गूंजेगी।
हवाई सफर से हुआ ट्रांसलोकेशन, नस्ल सुधार की दिशा में बड़ा कदम
डीएफओ अरुण कुमार ने बताया कि यह ट्रांसलोकेशन केवल बाघों की संख्या बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि नस्ल सुधार और जीन-पूल को मजबूत करने की दिशा में एक अहम पहल है। पेंच टाइगर रिज़र्व की बाघिन को उसकी बेहतर जेनेटिक क्वालिटी के कारण चुना गया है, जिससे रामगढ़ टाइगर रिज़र्व में भविष्य में स्वस्थ और मजबूत बाघों की आबादी विकसित हो सकेगी। उन्होंने बताया कि पिछले एक माह से ऑपरेशन टाइगर ट्रांसलोकेशन की तैयारी चल रही थी और इसके लिए हेलीकॉप्टर से रिहर्सल भी की गई थी। आमतौर पर बाघों का ट्रांसलोकेशन सड़क मार्ग से किया जाता है, लेकिन इस बार हेलीकॉप्टर का चयन सुरक्षा, तेज़ी और बाघिन पर कम तनाव को ध्यान में रखते हुए किया गया।
रामगढ़ बनेगा राजस्थान का नया टाइगर हॉटस्पॉट
वन अधिकारियों का मानना है कि आने वाले समय में रामगढ़ टाइगर रिज़र्व में बाघों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ उनकी नस्ल में भी सुधार होगा। यह ऐतिहासिक ट्रांसलोकेशन रामगढ़ को राजस्थान के प्रमुख टाइगर हॉटस्पॉट्स में शामिल करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
राज्य में पहला स्थानांतरण 2008 में हुआ था
DFO अरुण कुमार ने बताया कि राजस्थान में पहला टाइगर ट्रांसलोकेशन वर्ष 2008 में रणथंभौर से सरिस्का के लिए हुआ था। सरिस्का में बाघों की संख्या घटने के बाद यह कदम उठाया गया था। शुरुआती वर्षों में चुनौतियां आईं, लेकिन बाद में यह परियोजना सफल रही। भारत में पहला अंतर्राज्यीय बाघ स्थानांतरण 2018 में मध्य प्रदेश से ओडिशा के सतकोसिया टाइगर रिज़र्व में किया गया था। कान्हा से बाघ महावीर और बांधवगढ़ से बाघिन सुंदरी को भेजा गया, लेकिन अनुकूल वातावरण नहीं मिलने से बाघ महावीर की मौत हो गई। इसके बाद यह प्रयोग असफल माना गया।
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