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भौतिक नकल प्रणाली समाप्त, डिजिटल हस्ताक्षरित प्रति को मिलेगी पूर्ण वैधानिक मान्यता
ऑनलाइन नहीं रहने वाले दस्तावेज भी उपलब्ध कराने की है व्यवस्था
पटना। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने आम नागरिकों को बड़ी राहत देते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। दिनांक 01 जनवरी 2026 से राज्य में राजस्व अभिलेखों की सत्यापित (नकल) प्रति प्राप्त करने की पारंपरिक भौतिक प्रणाली को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। इसके स्थान पर अब केवल भू-अभिलेख पोर्टल के माध्यम से डिजिटल हस्ताक्षरित प्रतियाँ ही निर्गत की जाएँगी, जिन्हें विधिक रूप से सत्यापित प्रतिलिपि के रूप में मान्यता प्राप्त होगी।इस संबंध में विभाग के सचिव जय सिंह द्वारा सभी प्रमंडलीय आयुक्तों, समाहर्त्ताओं, जिला अभिलेखागारों के प्रभारी पदाधिकारियों एवं अंचल अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए गए हैं।अब तक राजस्व अभिलेखों की सत्यापित प्रति प्राप्त करने के लिए नागरिकों को कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे। चिरकुट आवेदन, स्टाम्प शुल्क, पंजी में प्रविष्टि, आदेश प्राप्ति और अंततः नकल निर्गत होने तक 7 से 14 दिनों का समय लग जाता था। यह प्रक्रिया विशेष रूप से ग्रामीण एवं दूर-दराज क्षेत्रों के नागरिकों के लिए श्रमसाध्य, खर्चीली और कष्टकारी थी।विभाग ने स्पष्ट किया है कि भू-अभिलेख पोर्टल पर उपलब्ध डिजिटल हस्ताक्षरित प्रतियाँ पूरी तरह वैधानिक हैं। यह व्यवस्था राजस्व परिषद, बिहार की अधिसूचना (26 जून 2024) के अनुरूप है, जिसके तहत ऑनलाइन निर्गत एवं डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित दस्तावेजों को प्रमाणित प्रतिलिपि माना गया है।इसके अतिरिक्त यदि कोई राजस्व अभिलेख ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है, तो नागरिक उसकी ऑनलाइन माँग दर्ज कर सकते हैं, जिसे सत्यापन के बाद डिजिटल हस्ताक्षरित प्रति के रूप में पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाएगा।इस निर्णय से न केवल समय, श्रम और धन की बचत होगी, बल्कि पारदर्शिता बढ़ेगी और कार्यालयों में अनावश्यक भीड़ भी कम होगी। आम नागरिकों के हित में विभाग द्वारा व्यवस्था सुधार हेतु माननीय उपमुख्यमंत्री के निर्देश पर बहुत महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है।
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