कोलकाता : कश्मीर घाटी में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनाती के दौरान वर्ष 1990 में आतंकियों के हमले में बंगाल के मालदा जिले के नूरनगर गांव निवासी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के आरक्षक संतोष कुमार सरकार देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनके बलिदान के 32 साल बाद बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी सोमवार को उनके गांव पहुंचकर पत्नी को भारत सरकार की ओर से दिया जाने वाला ‘आपरेशनल कैजुअल्टी सर्टिफिकेट’ (बलिदान प्रमाण पत्र) सौंपा।बीएसएफ के मालदा सेक्टर के उपमहानिरीक्षक (डीआइजी) सुधीर हुड्डा ने खुद बलिदानी की वीरांगना धर्मपत्नी रेखा रानी सरकार को यह प्रमाण पत्र सौंपा। इस मौके पर इलाके के गणमान्य लोगों समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। इस दौरान बीएसएफ अधिकारी ने बलिदानी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी। वहीं, प्रमाण पत्र सौंपे जाने के मौके पर पूरा माहौल गमगीन हो गया और वहां मौजूद सभी लोगों की आंखों में आंसू आ गए। इस अवसर पर बीएसएफ डीआइजी ने राष्ट्र की सेवा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर सपूत संतोष के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश उन्हें कभी नहीं भूलेगा।उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा बल देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीरों को सर्वोपरि रखता है और हम आरक्षक संतोष के देश के लिए अतुलनीय योगदान को सलाम करते हैं।
1970 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे संतोष
इधर, बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर मुख्यालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि मालदा के गांव- नूरनगर, पोस्ट- सतदलपुर निवासी संतोष जून, 1970 में सीमा सुरक्षा बल में भर्ती हुए थे। वह बीएसएफ की 76वीं वाहिनी में तैनात थे और उनकी ड्यूटी जम्मू कश्मीर में भारत-पाकिस्तान सीमा पर एफडीएल में लगी थी।बीएसएफ के अनुसार, सात सितंबर, 1990 को आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में आरक्षक संतोष वीरगति को प्राप्त हो गए थे।इधर, 32 साल बाद बलिदानी प्रमाण पत्र मिलने पर स्वजन गदगद थे।
कैजुअल्टी प्रमाण पत्र से मिल सकते हैं ये लाभ
बताते चलें कि आपरेशन कैजुअल्टी प्रमाण पत्र जारी होने के बाद जवान के परिवार को विभाग से मिलने वाली सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। स्वजन को रेल और हवाई यात्रा में 50 प्रतिशत की छूट से लेकर बच्चों को सरकारी नौकरी में भी लाभ मिलेगा। सरकार भविष्य में आवंटन करेगी तो स्वजन को पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी आदि भी मिल सकती है।