Sonu jha
कोलकाताः भारतीय सेना में पाकिस्तानी नागरिकों की घुसपैठ मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को सीबीआइ को एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह आदेश सीबीआइ की दलील सुनने के बाद आया है। सेना में फर्जी दस्तावेजों के जरिए पाकिस्तानी नागरिकों की नौकरी से जुड़े मामलों की जांच सीबीआइ करेगी। जस्टिस जय सेनगुप्ता ने यह आदेश दिया है। सोमवार को सीबीआइ ने अपनी जांच रिपोर्ट जस्टिस जय सेनगुप्ता की बेंच को सौंपी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि सीबीआइ को अभी तक भारतीय सेना द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए पाकिस्तानी नागरिकों को नौकरी देने के सबूत नहीं मिले हैं। हालांकि, सीबीआइ ने कोर्ट को बताया कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में ऐसी कुछ भर्तियां पाई गई हैं। जांच एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि इस घटना में सरकारी अधिकारियों, खासकर केंद्र सरकार के अधिकारियों की भूमिका से अब इन्कार नहीं किया जा सकता है। बताते चलें कि इस मामले में हाई कोर्ट ने पहले सीआइडी जांच का आदेश दिया था। बाद में सीबीआइ को भी जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया था। वही रिपोर्ट सीबीआइ ने सौंपी है। वहीं सीआइडी की ओर से भी पिछले दिनों कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी गई थी। प्रारंभिक जांच के बाद सीबीआइ ने पिछले सप्ताह बुधवार को न्यायमूर्ति सेनगुप्ता की एकल पीठ से मामले में एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू करने की अनुमति देने की मांग की थी।
इससे पहले जस्टिस राजशेखर मंथा ने सीबीआइ के साथ-साथ सीआईडी को भी मामले की जांच करने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी संगठनों को मिलकर काम करना चाहिए। जस्टिस मंथा ने इस घटना में पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आइएसआइ का हाथ होने की भी आशंका जताई थी। बाद में उनकी पीठ बदल गई जिसके चलते मामले की सुनवाई अब जज सेनगुप्ता की पीठ में हो रही है।
हुगली के रहने वाले बिष्णु चौधरी नामक एक व्यक्ति ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल किया था कि जयकांत कुमार और प्रद्युम्न कुमार नामक दो पाकिस्तानी नागरिक उत्तर 24 परगना के बैरकपुर के सेना कैंप में काम कर रहे हैं। वे सरकारी परीक्षाओं के माध्यम से भर्ती हुए और फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरियां हासिल कीं। साथ ही इस घटना में विभिन्न सरकारी अधिकारियों और प्रभावशाली लोगों के शामिल होने की भी आशंका है।