नई दिल्ली : भारत को एक वैश्विक लीडर के तौर पर पेश करते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी ने दुनिया के सभी देशों से आह्वान किया है कि यूक्रेन युद्ध के बाद जिस तरह से वैश्विक स्तर पर एक दूसरे पर भरोसा कम हुआ है, उसे अब बहाल करने की जरूरत है।
इसके साथ ही उन्होंने विश्व कल्याण के लिए सभी देशों को एक साथ चलने की बात भी कही है। शनिवार को जी-20 समूह के शिखर सम्मेलन के पहले सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि विश्व की पुरानी समस्याएं अब नए समाधान की मांग कर रही हैं।
हमें विश्व को नई दिशा देने के लिए तैयार रहना चाहिए। तीन सत्रों में चले शिखर सम्मेलन को पीएम मोदी ने कई चरणों में संबोधित किया। पीएम ने वैश्विक कूटनीति में चल रहे मौजूदा तनाव भरे माहौल में वसुधैव कुटुंबकम का नारा देते हुए एक सकारात्मकता का संचार भी करने की कोशिश की।
पीएम ने अपने भाषण की शुरुआत भारत की धार्मिक विविधता के जिक्र के साथ किया और कहा कि हर धर्म को भारत में सम्मान मिला है। पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना के बाद विश्व में एक बहुत बड़ा संकट विश्वास के अभाव का आया है। युद्ध ने इस विश्वास की कमी को गहरा किया है।
आज जी-20 के अध्यक्ष के तौर पर भारत पूरी दुनिया का आह्वान करता है कि हम मिल कर सबसे पहले विश्वास के अभाव को Óएक विश्वास-एक भरोसेÓ में बदलें। यह वैश्विक भलाई की खातिर हम सभी के लए मिलकर चलने का समय है। इसके साथ ही पीएम ने यह भी साफ तौर पर बताया कि विश्वास का संकट कहां कहां है और इसे दूर करना क्यों जरूरी है।
मोदी ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल, उत्तर व दक्षिण का विभेद, पूर्व और पश्चिम की दूरी, खाद्य, ईंधन व उर्वरक प्रबंधन, आतंकवाद व साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा और जल-सुरक्षा को लेकर चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों के ठोस समाधान की तरफ बढऩा ही होगा।
दुनिया के दिग्गज नेताओं के समक्ष मोदी ने आह्वान किया कि हमारी पुरानी समस्याएं अब नया समाधान मांग रही हैं। हमें मानव केंद्रित भाव के साथ दायित्व निभाने हेतु आगे बढऩा चाहिए। जी-20 के मंच पर कुछ सुझाव रखते हुए मोदी ने ईंधन मिश्रण के संबंध में आपस में काम करने का प्रस्ताव रखा। साथ ही कार्बन क्रेडिट को बढ़ावा देने के लिए सभी सदस्य देशों को ग्रीन क्रेडिट इनिसिएटिव शुरू करने का प्रस्ताव रखा।
हाल ही में सफल चंद्रयान-तीन का जिक्र भी उन्होंने किया और पर्यावरण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जी-20 सेटेलाइट मिशन लांच करने का प्रस्ताव रखा। इससे मिलने वाले आंकड़ों व सूचनाओं को सभी देशों के साथ खास तौर पर विकासशील देशों के साथ साझा करने की बात कही और इसमें सभी देशों को जुडऩे का आग्रह किया।