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सर, मुझे जीने दीजिए, जज से बंगाल के मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने लगाई गुहार

sonu jha

कोलकाता : राशन घोटाले में गिरफ्तार राज्य के मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक बीमारी के कारण गुरुवार को सशरीर कोर्ट में पेश नहीं हो सके। उन्हें वर्चुअल माध्यम से कोर्ट में पेश किया गया। सुनवाई शुरू होते ही जज ने उनकी खैर खबर ली और पूछा कि आपकी समस्या क्या है? इस पर ज्योतिप्रिय ने कहा कि मुझे जीने दीजिए। बीमारी के बारे में सुनने के बाद जज ने उनसे कहा कि अगर वह चाहें तो वापस सेल में जा सकते हैं। ज्योतिप्रिय ने जमानत के लिए आवेदन नहीं किया।

सुनवाई के बाद अदालत ने मल्लिक की न्यायिक हिरासत गुरुवार को 30 नवंबर तक बढ़ा दी।दिलचस्प बात यह है कि मंत्री के वकील ने अपने मुवक्किल की ओर से कोई जमानत याचिका दायर नहीं की। इसकी बजाय, उन्होंने प्रेसिडेंसी जेल की उस कोठरी में एक खाट, एक कुर्सी और एक मेज की मांग करते हुए एक याचिका दायर की, जहां मल्लिक बंद हैं।हालांकि, न्यायाधीश ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि यह अदालत के अधिकार क्षेत्र से परे है, और केवल जेल अधिकारी ही ऐसे अनुरोधों पर निर्णय ले सकते हैं।

ज्योतिप्रिय को ईडी ने 26 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें बीमारी के चलते अस्पताल भेजने का आदेश दिया। अस्पताल से निकलने के बाद वह पहले ईडी की हिरासत में थे और उसके बाद जेल की हिरासत में हैं। इस दिन ज्योतिप्रिय ने जज से कहा कि उन्हें 350 से अधिक शर्करा है। हाथ-पैर काम नहीं कर रहे हैं। सर मुझे जीने दीजिए। इसके बाद ज्योतिप्रिय ने कहा कि मैं एक वकील हूं। उच्च न्यायालय और बैंकशाल न्यायालय का सदस्य भी हूं। जज ने कहा कि जब आप वकील होने का दावा कर रहे हैं तो आपको जेल और अदालती कार्यवाही के बारे में पता होना चाहिए। मंत्री की बातें सुनने के बाद जज ने सलाह दी कि अगर आपको दिक्कत हो तो आप सेल में जा सकते हैं।

ईडी के वकील ने जेल जाकर जिरह की गुहार लगाई। पूछताछ के दौरान डिजिटल गजट का उपयोग करने का अनुरोध किया। उन्होंने ज्योतिप्रिय को जेल हिरासत में लेने का भी अनुरोध किया। ज्योतिप्रिय के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल स्वस्थ नहीं हैं। गुर्दे खराब हैं। वह तीसरे चरण में है। उन्होंने जेल अधीक्षक से आवश्यक निर्देश जारी करने की अपील की। बिस्तर और मेज के लिए भी अनुरोध किया। न्यायाधीश ने कहा कि इसमें जेल प्रशासन की भूमिका है।

 

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