Breaking News

परीक्षा पर चर्चा के माध्यम से विद्यार्थी अपने अध्ययन को और अधिक सुदृढ़ कर सकते : हिमांशु गुप्ता

– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज छात्रों के साथ करेंगे ‘परीक्षा’ पर चर्चा करेंगे

– ‘परीक्षा पे चर्चा 2024’ के लिए 2.26 करोड़ छात्रों ने कराए हैं रजिस्ट्रेशन

हिमांशु गुप्ता, सचिव, सीबीएसई : अक्सर विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों के चेहरे पर एक मुस्कान खिली रहती है लेकिन परीक्षा करीब आते ही उनके चेहरे पर रहने वाली ये मुस्कान कम होने लगती है।परीक्षा, अपने साथ अक्सर लाती है तनाव, डर, अपेक्षाएँ और चिंता। यह तनाव आखिर है क्या? और इसका एक छात्र पर कैसे और क्या प्रभाव पड़ता है?


तनाव को किसी कठिन परिस्थिति के कारण होने वाले मानसिक असंतुलन के रूप में देखा जा सकता है। तनाव एक स्वाभाविक मानवीय प्रतिक्रिया है जो हमें अपने जीवन में चुनौतियों और खतरों से निपटने के लिए प्रेरित करती है। हर व्यक्ति अपने जीवन में कुछ हद तक तनाव का अनुभव करता ही है। लेकिन परीक्षा के समय छात्रों में होने वाला तनाव और डर हमारे दिन-प्रतिदिन के तनाव की तुलना में बहुत गंभीर है।
एनसीईआरटी ने जनवरी से मार्च 2022 के बीच 3,79,842 विद्यार्थियों के बीच एक सर्वेक्षण किया था। इसमें यह पाया गया कि हमारे विद्यालयों में कक्षा 9 -12 के लगभग 80 प्रतिशत विद्यार्थी, परीक्षा और उसमे अपने प्रदर्शन को लेकर तनाव महसूस करते हैं। उन बच्चों में से अधिकांश ने ये भी बताया कि तनाव से जुड़े इन विचारों को वे अपने साथियों या अपने परिवार के सदस्यों के साथ साझा करनें में असहज महसूस करते हैं।
33 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थियों ने बताया कि वे नियमित रूप से अपने सहपाठियों के दबाव यानी ‘पीयर-प्रेशर का सामना करते हैं।
जैसे-जैसे विद्यार्थी उच्चतर कक्षाओं की ओर बढ़ते हैं, उनकी व्यक्तिगत तथा विद्यालयी जीवन से संतुष्टि कम हो जाती है। रिश्तों के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता, साथियों का दबाव, बोर्ड परीक्षा का डर तथा खुद की पहचान खोने का डर जैसी चुनौतियाँ बढ़ती जाती हैं।
परीक्षा से जुड़ी परेशानियों के अनेक कारण हो सकते हैं। इसमें जीवनशैली से जुड़े मुद्दे भी शामिल हैं जैसे नींद पूरी न हो पाना, कुपोषण, शारीरिक गतिविधियों की कमी आदि। इसमें कुछ मनोवैज्ञानिक कारण भी शामिल हो सकते हैं जैसे परीक्षा में असफल होने का डर, अच्छे अंकों के लिए परिवार का दबाव, साथियों का दबाव, नकारात्मक सोच और आत्म-आलोचना जैसे मैं इस क़ाबिल नहीं हूं, मैं यह कर नहीं सकता आदि।

परीक्षा एक ऐसा माध्यम है जिससे विद्यार्थी अपनी शिक्षा और ज्ञान का मूल्यांकन करते हैं । ऐसे में परीक्षा के समय विद्यार्थियों की मानसिक स्थिति ऐसी क्यों हो जाती है? हम ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे उन्हें इस स्थिति से न गुज़रना पड़े?
इस महत्वपूर्ण समस्या और इसके समाधान की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया है ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम ने।
‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम की संकल्पना माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा छह वर्ष पूर्व की गई थी। इस कार्यक्रम में वे विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों और शिक्षकों से परीक्षा और जीवन से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करते हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन शिक्षा मंत्रालय द्वारा हर वर्ष किया जाता है। इस वर्ष ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम का सातवां संस्करण आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष 2.26 करोड़ नामांकन प्राप्त हुए हैं। प्रधानमंत्री जी नई दिल्ली के प्रगति मैदान में नव-निर्मित ‘भारत मंडपम’ में 29 जनवरी 2024 को सुबह 11 बजे इन सभी प्रतिभागियों के साथ परीक्षा पर चर्चा करेंगे।
इसमें कक्षा 6 से 12 के विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों को शामिल होने का अवसर मिलता है। इसमें भाग लेने के लिए पहले प्रश्नोत्तरी/निबंध/ स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता रहा है। इस वर्ष पंजीकरण की प्रक्रिया में नयापन लाते हुए एक अनूठी प्रश्नोत्तरी की शुरुआत की गई है जिसमें चंद्रयान, खेलों में भारत की उपलब्धियां आदि जैसे नये विषयों को शामिल किया गया है।
प्रतिभागियों को केवल 5 प्रश्नों का उत्तर देकर बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए MyGov पोर्टल पर पंजीकरण करना था।
माननीय प्रधानमंत्री जी से विद्यार्थी कौन-से प्रश्न पूछेंगे और चर्चा कर सकेंगे, इसके लिए भी एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई। कक्षा छठी
से बारहवीं तक के विद्यार्थियों से MyGov प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रश्न आमंत्रित किए गए। विद्यार्थियों को यह स्वतंत्रता थी कि वे परीक्षा के तनाव से निपटने या सामान्य रूप से जीवन के बारे में अपनी पसंद के ऐसे प्रश्न भेज सकते थे जिन्हें वे माननीय प्रधान मंत्री से पूछना चाहेंगे। पिछले वर्षों की तरह इस बार भी विदेश में पढ़ रहे विद्यार्थियों के प्रश्नों को भी शामिल किया गया।
इस कार्यक्रम में माननीय प्रधानमंत्री जी विद्यार्थियों के शिक्षक, मार्गदर्शक और अभिभावक की भूमिका में होते हैं। वे रोचक संस्मरणों, उदाहरणों और प्रेरक वाक्यों की सहायता से देश-विदेश के अनगिनत विद्यार्थियों को स्पष्ट करते हैं कि वे परीक्षा की तैयारी कैसे कर सकते हैं, सही समय प्रबंधन कैसे कर सकते हैं, और परीक्षा के दिन कैसे तनाव की स्थिति का सामना कर सकते हैं। इस कार्यक्रम की उपयोगिता इस रूप में भी अद्वितीय है कि यह कार्यक्रम यह स्थापित करने में सफल रहा है कि परीक्षा सिर्फ ज्ञान के मूल्यांकन का आधार नहीं है, बल्कि यह विद्यार्थियों की सोचने, समस्याओं का समाधान करने, और स्वयं का मूल्यांकन करने की क्षमता को भी मापती है। इस चर्चा के माध्यम से विद्यार्थी अपनी क्षमताओं पर काम करने के सुझाव प्राप्त करके अपने अध्ययन को और अधिक सुदृढ़ कर पाते हैं।

तनाव का मुकाबला करने के लिए विद्यार्थियों को सही दिशा, उदाहरण और समर्थन की आवश्यकता होती है। “परीक्षा पर चर्चा” कार्यक्रम इस उद्देश्य को सफलतापूर्वक प्राप्त कर रहा है। विगत वर्षों में इस कार्यक्रम के सफल आयोजन ने हमारे विद्यार्थियों के मस्तिष्क से तनाव कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके माध्यम से विद्यार्थियों को परीक्षा को एक उत्सव के रूप में मनाने का अवसर मिल पा रहा है और वे आनंदपूर्वक परीक्षा देने के महत्व को समझने लगे हैं।

About editor

Check Also

हावड़ा लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार, एमआईएम के पूर्व संयोजक।

हावड़ा लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार, एमआईएम के पूर्व संयोजक। राजनीतिक महल को अल्पसंख्यक वोट …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *