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प्रसव के दौरान बुनियादी देखभाल होनी चाहिए: डीटीएल

पूर्णिया: सम्मानपूर्वक प्रसव को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा चिकित्सा पदाधिकारियों, प्रसव कक्ष की प्रभारी, जीएनएम, एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर उसे परिपक्व करने का काम किया जा रहा है। प्रसव के दौरान महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं के साथ किस तरह का व्यवहार करने के साथ ही उस प्रसूता की देखभाल को बेहतर बनाने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर स्थित डीआईओ सभागार में किया गया। राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर स्थित प्रसव कक्ष से जुड़े 05 चिकित्सक, 15 प्रशिक्षित नर्स, सहयोगी कर्मियों में ओटी सहायक, लैब टेक्नीशियन, एमसीएच स्टाफ़, ममता, सफ़ाई कर्मी व एम्बुलेंस चालकों को प्रोन्टो इंटरनेशनल के द्वारा प्रशिक्षित किया गया। इस अवसर पर प्रोन्टो इंटरनेशनल की मंजू सीजू, जिला स्वास्थ्य समिति के जिला सलाहकार गुणवत्ता यकीन पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार शर्मा, केयर इंडिया की ओर से डीटीएल आलोक पटनायक, जिला तकनीकी पदाधिकारी डॉ देवव्रत, नर्स मेंटर पर्यवेक्षिका मधुबाला कुमारी, संध्या कुमारी, पूर्णिया पूर्व पीएचसी के प्रखंड प्रबंधक आरुप मंडल सहित कई अन्य मौजूद थे।

सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में अधिक से अधिक प्रसव के लिए व्यवहार का होना अनिवार्य: मंजू सीजू

प्रोन्टो इंटरनेशनल की ओर से प्रशिक्षण देने आई मंजू सीजू ने बताया कि अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के प्रसव के दौरान अभिभावकों या नवजात शिशुओं के साथ अव्यावहारिक तरीके से पेश आने के कारण अस्पताल प्रबंधन पर गलत प्रभाव पड़ता है। जिससे महिलाओं द्वारा प्रसव से पहले, प्रसव के दौरान या उसके बाद स्वास्थ्य केंद्रों में देखभाल या सलाह लेने के लिए जाने की संभावना कम हो जाती है। जिस कारण महिलाओं व उनके नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य-कल्याण के लिए जोखिम भरा होता है। इतना ही बल्कि उसके जीवन के लिए ख़तरा पैदा होने की आशंका भी बढ़ जाती है। उपस्थित सभी स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मियों को सम्मानजनक मातृत्व देखभाल के लिए सुझाव भी दिया गया है।

प्रसव के दौरान बुनियादी देखभाल होनी चाहिए: डीटीएल

केयर इंडिया के डीटीएल आलोक पटनायक ने बताया कि गर्भवती महिलाओं, युवतियों, व्यक्तियों और नवजात शिशुओं के साथ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कर्मियों द्वारा अस्पताल में व्यवहार में शिथिलता बरतने का मामला सुनने को मिलता है। जिस कारण विभाग की प्रतिष्ठा पर थोड़ा बहुत असर पड़ता है। जिस कारण गर्भवती महिलाओं को हर जगह अपने अधिकारों के हनन का सामना करना पड़ता है। जिनमें निजता का अधिकार, जानकारी प्रदान किये जाने के बाद प्राप्त सहमति और प्रसव के दौरान भरोसेमंद साथी को चुनने का अधिकार होता है। प्रसव के दौरान बुनियादी देखभाल और बगैर कोई जानकारी अवगत कराये सिज़ेरियन सर्जरी के लिए प्रसूति कक्ष में ले जाने और नवजात शिशुओं के जन्म के बाद ख़ुश होकर या अन्य माध्यम से पैसे की मांग से संबंधित कई अन्य तरह की समस्याएं सामने आती हैं। इसको जड़ से मिटाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया था।

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