सद्भावना यात्रा समिति का सात सदस्यीय एक दल गुरुवार की सुबह शहीद एक्सप्रेस से रवाना हुआ। उनकी रवानगी से पहले दरभंगा स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित विदाई कार्यक्रम में सभी कमरथुओं को मिथिला की गौरवशाली परंपरा अनुरूप मिथिला पेंटिंग युक्त पाग, चादर एवं फूलों की माला भेंटकर महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने सम्मानित किया। इस दौरान हर हर महादेव एवं हर हर गंगे के जयघोष से पूरा स्टेशन परिसर भक्तिमय हो गया। वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा के नेतृत्व में कांवरियों का जत्था शनिवार को हिमालय स्थित गंगोत्री पहुँचेगा और फिर वहाँ से रविवार को कांवर में गंगाजल लेकर विश्व में शान्ति एवं सद्भाव बनाए रखने के उद्देश्य से पैदल यात्रा करते हुए हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी तट पर अवस्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक रामेश्वरम शिवलिंग का जलाभिषेक करेगा। सद्भावना पैदल कांवर यात्रा में मणिकांत झा के अतिरिक्त शुभंकरपुर (दरभंगा) के डा बासुकि नाथ झा, हरिना, झंझारपुर, (मधुबनी) के चिरंजीव मिश्र, भीषम टोल, कछुआ, (दरभंगा) के श्याम राय, रतवारा, (मुजफ्फरपुर) के आशुतोष कुमार एवं रंजीत कुमार झा सहित हरिनगर, (सीतामढ़ी) के सुदिष्ट ठाकुर शामिल हैं।
उत्तराखंड के गंगोत्री से यात्रा आरंभ कर पदयात्री उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना,आँध्र प्रदेश, तमिलनाडु के रामेश्वरम तक जाएँगे। यात्रा के क्रम में कांवर यात्री मिथिला की कला संस्कृति, सभ्यता और भाषा आदि को उन लोगों के बीच प्रचारित व प्रसारित करने के साथ ही वहाँ की कला-संस्कृति आदि से परिचित होंगे।
मौके पर सद्भावना यात्रा समिति के संयोजक एवं वरिष्ठ साहित्यकार सह भारत निर्वाचन आयोग के दरभंगा जिला आइकॉन मणिकांत झा ने कहा कि विश्व में शान्ति और सद्भावना का संदेश देने के उद्देश्य से हिमालय से हिन्द महासागर तक की कांवर यात्रा की जा रही है। उन्होंने बताया कि गंगोत्री के गंगाजल से महादेव रामेश्वरम के जलाभिषेक का विशेष महत्व है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए समिति के सदस्यों ने गंगोत्री से रामेश्वरम तक की काँवर यात्रा करने का संकल्प लिया है।
सद्भावना कांवर यात्रियों का स्वागत एवं सम्मान करते हुए डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि संपूर्ण विश्व में शांति एवं सद्भावना की स्थापना के उद्देश्य से शुरू हो रही यह अभूतपूर्व पैदल कांवर यात्रा मां जानकी की मातृभूमि मिथिला सहित संपूर्ण बिहार वासियों के लिए एक गौरव यात्रा है। उन्होंने कहा कि सभी लोगों की शुभकामनाएं यात्रीदल के साथ चलती रहेगी और यह यात्रा अपने उद्देश्य में ऐतिहासिक सफलता हासिल करेगी। इस यात्रा के प्रमुख सूत्रधार रहे वरिष्ठ पत्रकार विष्णु कुमार झा ने कहा कि चूँकि मणिकांत झा स्वयं एक सधे साहित्यकार हैं इसलिए उन्होंने उनसे आठ करोड़ मिथिलावासी की ओर से उठने वाली कांवर को लेकर शुरू होने वाली इस अद्भुत यात्रा का संस्मरण लिख पुस्तकाकार रूप में इसे प्रकाशित करने का आग्रह किया। विद्यापति सेवा संस्थान के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि अंगुली पर गिने चुने लोग ही इस तरह की साहसिक यात्रा का संकल्प ले पाते हैं। संकल्प को सिद्धि मे बदलने का कार्य देवाधिदेव महादेव करते हैं।
मौके पर दरभंगा की पूर्व महापौर दंपति ओमप्रकाश खेड़िया एवं बैजन्ती खेड़िया, हैदराबाद से आये बी के कर्ण, एमएलएसएम कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य प्रो विद्यानाथ झा, महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा, कलिगाँव के मुखिया महेश कुमार झा, मोद मंडली के अध्यक्ष श्रवण कुमार झा, सचिव संतोष कुमार झा, विनोद कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, दुर्गा नंद झा, साहेब ठाकुर, लाट साहेब, अशोक, लालटुन, माधव झा टुना, प्रमोद गुप्ता, डा ओमप्रकाश, डा ए डी एन सिंह, प्रो श्रवण कुमार चौधरी, कामोद झा, अरुण झा, अनिल मिश्र, राजन यादव, अमर कान्त झा, गंधर्व झा, रंजीत झा, पप्पू ठाकुर, मनोज चौधरी, प्रो अरुण सिंह आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
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गंगोत्री से रामेश्वरम पदयात्रा संभावित मार्ग
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गंगोत्री- धरली- हरसिल- गंगनानी – भटवाड़ी- मानेरी – उत्तरकाशी -चिन्यालीसौड़ – नई टिहरी – जरधारा टर्निंग- खादी- देहरादून बाईपास- ऋषिकेष- हरिद्वार- चिड़ियापुर- भागूवाला- नजीमाबाद – नगीना- धामपुर – स्योहारा – सहसपुर – कांठ- मुरादाबाद- कुंदारकी – बिलाड़ी – बिसौली – वजीरगंज- बदायूं – ककराला – उसहैत – कांपील- कायमगंज – मोहम्मदाबाद – उत्तार निस्फ्थिया – छिबरामऊ – खादिनी बेला- याकूबपुर – रसूलाबाद- बनीपारा – महाराज- रूरा- अकबरपुर – माटी किशनपुर- हमीरपुर – भरवा- सुमेरपुर- भरौली- बांदा – तिनद्वारा – भीखन – बंसी – नारायणी – कलिंजर नागोद- ऊचाहेरा- मैहर – सगमन्हिया- धनवाही – रमना नंबर 1 – मानपुर- बिजौरी- मझौली- बेलाहा – जमुई – बुरहर- राजेंद्र ग्राम- अमरकंटक- मुंगेली- राजनंदगांव- नारायणपुर- गीदम- दंतेवाड़ा- किरंदुल -भद्राचलम – विजयवाड़ा- गुंटुर- ओंगोल – सिंगारियाकुंडा – कावली – नेल्लूर- गुडुर- कालहस्ती- कांचीपुरम- तिंदीवनम -विल्लुपुरम- मन्नारगुड़ी -पत्तूकोत्तई – रामानथपुरम – रामेश्वरम।
संभावित दूरी- 3300 किलोमीटर