SONU JHA
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में राजभवन और राज्य सरकार के बीच विवाद एक और मोड़ की ओर बढ़ रहा है, क्योंकि राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अब अपने प्रेस सचिव शेखर बनर्जी को तत्काल प्रभाव से हटा दिया। गौरतलब है कि इससे पहले इस साल की शुरुआत में राज्यपाल द्वारा अपनी पूर्व प्रधान सचिव आइएएस नंदिनी चक्रवर्ती को पद से हटाने के फैसले को लेकर राजभवन और ममता सरकार के बीच तनाव पैदा हो गया था।इधर, रविवार दोपहर में जैसे ही शेखर बनर्जी को राज्यपाल के प्रेस सचिव के पद से हटाने की खबर सामने आई, राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस फैसले के जरिए राज्यपाल ने वास्तव में राज्य सचिवालय को एक संदेश भेजने की कोशिश की है।
बनर्जी को राज्य के सूचना एवं संस्कृति मामलों के विभाग से राजभवन में प्रतिनियुक्त किया गया था। राज्य सरकार के सूत्रों ने कहा कि यह हमेशा प्रोटोकाल और परंपरा रही है कि राज्यपाल के प्रेस सचिव को सूचना और संस्कृति विभाग से नामित किया जाता है।
राज्य सरकार के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, हालांकि इस तरह की नियुक्ति करते समय राज्यपाल की पसंद को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन यह अभूतपूर्व है कि एक राज्यपाल ने अपने प्रेस सचिव को इतने अनौपचारिक तरीके से हटा दिया है।
उल्लेखनीय है कि बंगाल में हाल में संपन्न त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव व उसके बाद से बड़े पैमाने पर हिंसा और खून-खराबे को लेकर राजभवन और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार के बीच झगड़ा हाल के दिनों में चरम पर पहुंच गया था।
चुनावी संबंधी शिकायतों के लिए राजभवन में एक ‘शांति कक्ष’ खोलने के अलावा, राज्यपाल ने बंगाल में हिंसाग्रस्त इलाकों का व्यापक दौरा भी किया और पीड़ित परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत की। राज्यपाल ने राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा के खिलाफ भी तीखे हमले किए और उन्हें हिंसा और खून-खराबे के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया, जिसमें अब तक 55 लोगों की जानें जा चुकी है।तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने भी हाल के दिनों में अभूतपूर्व तरीके से राज्यपाल पर हमला किया है और उनपर अपने संवैधानिक अधिकार से परे काम करने का आरोप लगाया है। पार्टी के विधायक मदन मित्रा जैसे कुछ सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने यहां तक कहा था कि सरकार को ग्रामीण निकाय चुनाव खत्म होने के बाद बंगाल से उनकी वापसी का टिकट बुक करना होगा।
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