पाकिस्तान में इमरान खान की दोबारा गिरफ़्तारी
पाकिस्तान आर्मी के लिए आने वाले महीने चुनौतीपूर्ण होंगे | एक तरफ सेना के अंदर इमरान खान के समर्थकों पर नियंत्रण रखना और दूसरी ओर आने वाले आम चुनाव में अपने पसंद की पार्टी को जीत दिला कर अपनी इज़्ज़त को कायम रखना है |
राजीव कुमार श्रीवास्तव – रक्षा कॉमेंटेटर
05 जुलाई को लाहौर में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को शनिवार को पाकिस्तान ट्रायल कोर्ट द्वारा तीन साल की जेल की सजा सुनाए जाने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। अदालत ने उन्हें अवैध रूप से सरकारी उपहार बेचने का दोषी पाया, जिसे तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले के नाम से जाना जाता है। कोर्ट ने उन्हें पांच साल के लिए राजनीति से भी अयोग्य घोषित कर दिया.|
इमरान खान ने पहले आरोप लगाया था कि देश का सैन्य प्रतिष्ठान उन्हें देशद्रोह के आरोप में अगले 10 साल के लिए कैद करना चाहता है। अब उन्होंने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान की सेना अब न्यायाधीश और जल्लाद दोनों की भूमिका निभा रही है | इमरान खान ने कहा था कि “लंदन योजना” में उनकी पत्नी बुशरा बेगम को भी जेल में डालकर उन्हें अपमानित करने की है । उनका इसारा लंदन में रह रहे नवाज़ शरीफ की तरफ है जो वहां कानून से बचने के लिए निष्कासन में रह रहे हैं |
इसी वर्ष 9 मई 2023 को इस्लामाबाद हाई कोर्ट के परिसर से इमरान खान को गिरफ्तार करने के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था.| प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक और सरकारी संपत्तियों में तोड़फोड़ की.और रावलपिंडी में जनरल मुख्यालय और लाहौर कोर कमांडर के आवास पर भी हमला किया था.| पाकिस्तान आर्मी ने सार्वजनिक किरकिरी होने के बाद सख्त कदम उठाये और कई सैन्य अधिकारीयों के खिलाफ कार्रवाहियां भी की| पूरी घटना के पहले इमरान खान ने सेना के अधिकारीयों और भारत के खिलाफ लड़ने की छमता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया था | पाकिस्तान आर्मी इस बेइज्जती से उभर नहीं पायी है |
राजनीती में कानून की दखलंदाज़ी अब विश्वव्यापी प्रचलन हो गया है | अमेरिका में भूतपूर्व राष्ट्रपति इसी महीने तीसरी बार न्यायलय के सामने पेश हुए | उनपर तीसरा मुक़दमा जनुअरी 2020 में इलेक्शन हारने के बाद कैपिटल हिल जहाँ उनका सीनेट यानि पार्लियामेंट है पर उनके समर्थकों द्वारा तोड़ फोड़ का उसकावा देने का इल्जाम है | इजराइल में नेतन्याहू द्वारा उनके न्यायपालिका पर नियंत्रण की कोशीश का जनविरोध हो रहा है | हमारे देश में भी श्री राहुल गाँधी को क़ानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है | बांग्लादेश में भी बी न पी पार्टी के खिलाफ यही हो रहा है | कमोबेश यह स्थिति अन्य लोकतांत्रिक देशों में भी है | जिस भी देश में जिस किसी भी राजनितिक नेता ने लीक से हैट कर काम किया ,उन्हें न्यायलय का रास्ता दिखाया जा रहा है ,ताकि उनके राजनितिक गतिविधियों में रोक लगाई जा सके और उनके जान समर्थन को यह कहा जाये की न्यायलय की प्रक्रिया के तहत कार्यवाही हुई है |
पाकिस्तान में नेशनल असेंबली यानि उनके पार्लियामेंट के भंग करने के 90 दिनों से अंदर आम चुनाव होने हैं , जो उनके प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ की घोषणा के अनुसार 9 अगस्त 2023 को समय से पहले भंग होने वाली है । इसका मतलब है कि चुनाव 7 नवंबर 2023 से पहले होने चाहिए। इस बार भी पाकिस्तान के चुनाव में दो बड़े घटक नज़र आ रहे थे | एक तरफ इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) है तो दूसरी तरफ ,मौजूदा प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) (पीएमएल-एन) एवं बिलावल भुट्टो जरदारी का पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) का गठबंधन है | मई 2023 की घटना के बाद इमरान खान की पार्टी में टूट आयी है ,जिसमें उनके कई बड़े नेताओं ने तहरीके इंसाफ से नाता तोड़ लिया है | ऐसे में इमरान खान जब उन्हें पांच साल के लिए चुनाव न लड़ने का न्यायलय का फैसला दिया है तब क्या वो अपनी पार्टी को आने वाले चुनाव में जीत दिला पाएंगे | यह सवाल का जवाब आने वाले दिनों में जनता के सड़क पर आने पर ही लग सकेगा |
भारत को अगले दो से तीन दिन तक पाकिस्तान के अंदरूनी हालत पर पैनी नज़र रखनी पड़ेगी | तभी जनता और विशेषकर पकिस्तानी सेना के अंदर इमरान खान के समर्थन का सही आकलन मिलेगा | इमरान खान ने अपनी गिरफ्तारी से बारह घंटे आगे अपनी ट्वीट में कश्मीर का 370 का उल्लेख कर अपनी रणनीति में भारत विरोधी होने का पूरा अहसास दिलाया है | इमरान ने कश्मीर पर अपने पुराने ट्वीट को शेयर करते हुए लिखा- मैंने कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीनने पर मोदी सरकार के गैर कानूनी एक्शन का हमेशा विरोध किया है। भारत ने न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया, बल्कि कश्मीर में युद्ध अपराध भी किए हैं। यह एक तरह से शाहबाज़ खान के भारत के साथ सम्बन्ध सुधारने वाले बयांन का विऱोध तो है ही ,साथ ही साथ पाकिस्तान आर्मी के अंदर अपने समर्थक लोगों को भड़काने के लिए एक मैसेज भी |
अब आने वाले महीनो में जब पाकिस्तानी आर्मी के ऊपर से एक चुना हुआ सरकार का नियंत्रण हट जायेगा और उसे अपनी सेना का दिशा देने की पूरी छूट होगी | ,उस समय उनके आई एस आई का भारत में आतंकवादिओं को भेजना या फिर उनपर नियंत्रण रखा जायेगा का खुलासा होगा | पाकिस्तान आर्मी के लिए आने वाले महीने चुनौतीपूर्ण होंगे | एक तरफ सेना के अंदर इमरान खान के समर्थकों को नियंत्रण में रखना और दूसरी ओर आम चुनाव में अपने पसंद की पार्टी को जीत दिला कर अपनी इज़्ज़त को कायम रखना है | आने वाले दिनों में कश्मीर में आतंकवादियों की बढ़ती या घटती गतिविधियां एक संकेत देंगी | जरुरत है सजग रहने की ताकि मुंबई और पुलवामा जैसी और घटनाये न हों |