Sonu jha
कोलकाता : मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के मद्देनजर 21 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में विभिन्न दलों के ज्यादातर कुकी विधायकों के शामिल होने की संभावना नहीं है। कुकी समुदाय के नेताओं ने यह जानकारी दी। कुकी समुदाय के लोगों के लिए अलग प्रशासनिक इकाई की मांग सर्वसम्मति से खारिज करने के लिए जल्द विधानसभा सत्र बुलाए जाने की मांग का नेतृत्व कर रहे शीर्ष मेइती संगठन कोआर्डिनेटिंग कमिटी आन मणिपुर इंटेग्रिटी (सीओसीओएमआइ) ने हालांकि, यह दावा किया कि अगर आदिवासी विधायक सत्र में भाग लेना चाहते हैं तो वे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
जातीय हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में से एक चुराचांदपुर से भाजपा के विधायक एलएम खाउते ने समाचार एजेंसी पीटीआइ को टेलीफोन पर दिये साक्षात्कार में कहा कि मणिपुर में कानून तथा व्यवस्था की मौजूदा स्थिति और निरंतर हिंसा के मद्देनजर मेरे लिए आगामी सत्र में भाग लेना संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हिंसा तथा अलग प्रशासन के लिए कुकी समुदाय की मांगों पर कोई समाधान न निकाले जाने से सभी कुकी-जोमी-हमार विधायकों के लिए सत्र में भाग लेना संभव नहीं होगा। मणिपुर की 60-सदस्यीय विधानसभा में कुकी-जोमी समुदाय के 10 विधायक हैं, जिनमें से सात भाजपा के, दो कुकी पीपुल्स एलायंस तथा एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं। कुकी पीपुल्स एलायंस (केपीए) के अध्यक्ष तोंगमांग हाओकिप ने कहा कि विधायकों के लिए इंफाल आना सुरक्षित नहीं होगा। ज्थानलोन का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा विधायक वुंगजागिन वाल्ते से वहां बुरी तरह मारपीट की गयी, वह अब भी उपचार करा रहे हैं। अगर विधायकों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार गारंटी दे और पर्याप्त कदम उठाए, तो इस चिंता से निपटा जा सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि कुकी विधायकों की गैर-मौजूदगी से पिछले तीन महीने से चल रहे जातीय संघर्ष पर कोई सार्थक चर्चा होने की संभावना नहीं है। इस हिंसा में 160 से अधिक लोगों की जान चली गयी है। कुकी इंपी मणिपुर (केआइएम), कुकी स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन (केएसओ), कुकी चीफ्स एसोसिएशन (केएसएएम) और कुकी वुमेन यूनियन (केडब्ल्यूयू) समेत कुकी संगठनों ने विधायकों से विधानसभा सत्र में भाग लेने के लिए इंफाल जाने से बचने के लिए कहा है। नगा जनजाति के एक शक्तिशाली निकाय नगा होहो ने भी मणिपुर में 10 नगा विधायकों से विधानसभा सत्र में भाग न लेने के लिए कहा है और दावा किया कि मणिपुर सरकार नगा समूहों के साथ शांति वार्ता करने के खिलाफ काम करती रही है। अदालत के एक फैसले को लेकर प्रदर्शनों के बाद मेइती तथा कुकी-जोमी समुदायों के बीच मई में हिंसा शुरू हुई। अदालत का फैसला इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मेइती के पक्ष में था जो अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं। अनुसूचित जनजाति का दर्जा अभी कुकी-जोमी तथा नगा आदिवासियों को हासिल है। कुकी समुदाय के 10 विधायकों ने कुकी इलाकों के लिए अलग प्रशासनिक क्षेत्र बनाये जाने का अनुरोध करते हुए केंद्र सरकार को एक अर्जी भेजी है। कुकी नेता तथा भाजपा विधायक पाओलिनलाल हाओकिप एक कदम आगे चले गए हैं और उन्होंने कहा कि राज्य के जातीय संघर्ष का समाधान तीन अलग अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने से ही संभव होगा। कोआर्डिनेटिंग कमिटी आन मणिपुर इंटेग्रिटी (सीओसीओएमआइ) आरोप लगाती रही है कि कई कुकी लोग उत्तर-पश्चिमी म्यांमा से आए अवैध शरणार्थी हैं तथा कई कुकी ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित खेतों में अफीम की खेती करते हैं। उसके प्रवक्ता खुरईजम अथूबा ने कहा, कि अगर वे (कुकी विधायक) वाकई आना चाहते हैं तो हम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। बहरहाल, वह अपनी बात पर अड़े रहे कि विधानसभा को मणिपुर की अखंडता के पक्ष में सर्वसम्मति से एक फैसला लेना चाहिए।