Sonu jha
कोलकाता : अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में इमामों और मुअज्जिनों के साथ पुजारियों का मासिक भत्ता बढ़ा दिया है। सोमवार को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में इमामों, मुअज्जिनों के सम्मेलन में ममता ने उनके मासिक भत्ते में 500 रुपये की बढ़ोतरी करने की घोषणा की।
अब तक इमामों को प्रति माह 2,500 रुपये का भत्ता मिलता था। अब यह बढक़र तीन हजार रुपये हो जाएगा। वहीं मुअज्जिनों को 1000 रुपये मासिक भत्ता मिलता था। उन्हें अब डेढ़ हजार रुपये मिलेंगे। सम्मेलन में ममता ने कहा कि वह राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की इजाजत नहीं देंगी।
राज्य के लगभग 30,000 इमामों और 20,000 मुअज्जिनों को सरकार से यह वित्तीय लाभ मिलता है। हालांकि भत्ता राज्य सरकार देती है, लेकिन इसका वितरण वक्फ बोर्ड करता है।मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही पुजारियों के मासिक भत्ते में भी 500 रुपये बढ़ोतरी की घोषणा की है।
खिसकते मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश
इधर, सियासी जानकारों का कहना है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले ममता अपने खिसकते परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक को साधने की जुगत में हैं। इसे ध्यान में रखकर ही उन्होंने इमामों और मुअच्जिनों के मासिक भत्ते में बढ़ोतरी की घोषणा की है। 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले गठित नौशाद सिद्दीकी की अगुआई वाला इंडियन सेक्युलर फ्र ंट (आइएसएफ) जिस प्रकार राज्य के अल्पसंख्यक क्षेत्रों में अपनी पैठ बढ़ा रहा है, उससे तृणमूल बेचैन है।
हालांकि तृणमूल सुप्रीमो ने संतुलन बनाते हुए पुजारियों का भी मासिक भत्ता बढ़ा दिया है। दूसरी ओर अब्बास सिद्दीकी ने कहा कि इमामों, मुअच्जिनों को क्रमश: 10,000 रुपये व 8,000 रुपये भत्ता दिया जाना चाहिए। उन्होंने अन्य राज्यों का हवाला देते हुए कहा कि बंगाल में भत्ता काफी कम है।
भ्रष्टाचार से ध्यान भटकाने की कोशिश : भाजपा
वहीं राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा है कि इमामों, मुअच्जिनों के भत्ते में बढ़ोतरी की घोषणा दरअसल लोकसभा चुनाव से पहले भ्रष्टाचार के मामलों से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है।