
Sonu jha
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में बड़े बजट की दुर्गा पूजा समितियों के लिए सरकारी अनुदान पर सवाल उठने लगे हैं। वहीं बार-बार वित्तीय संकट का दावा करने वाली राज्य सरकार के पूजा अनुदान के फैसले की एक बार फिर आलोचना होने लगी है।

दरअसल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूजा समितियों के अनुदान की राशि इस साल 10 हजार रुपये बढ़ाकर 70 हजार रुपये कर दी है। इसके साथ बिजली बिल में रियायत की भी उन्होंने हाल में घोषणा की है।

सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सरकारी खजाने पर दबाव डालकर इतनी छूट देना उचित है? बिजली बिल को लेकर भी सवाल उठ रहा है कि पूजा में इतनी भारी छूट क्यों। शहर की कई बड़ी पूजाओं में महालया से ही त्योहार की शुरुआत हो जाती है। नतीजा यह है कि उनका बिजली बिल हर साल लाखों रुपये से ज्यादा आता है।

लेकिन जहां कई बड़ी पूजा समितियों का बजट लाखों रुपये का हो, वहां क्या इस रियायत की जरूरत है? एक पूजा समिति के पदाधिकारियों का दावा है कि सरकारी अनुदान की राशि पूजा मंडप में नहीं तो विभिन्न सामाजिक कार्यों में खर्च की जाती है।

पूजा समिति का एक वर्ग इसे अतिदेय के रूप में देखता है। एक पूजा समिति के एक पदाधिकारी सीधे तौर पर बताते हैं कि पूजा में दान करना सिर्फ सरकारी पैसे की बर्बादी है।

पहले भी दुर्गा पूजा बिना सरकारी अनुदान के भव्यता के साथ होती रही है। यह सरकारी पैसे की बर्बादी के अलावा और कुछ नहीं है।

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