Sonu jha
कोलकाताः बंगाल में ममता बनर्जी सरकार और राजभवन के बीच टकराव लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
अब राज्यपाल डा सीवी आनंद बोस ने राज्य की स्वास्थ्य विश्वविद्यालय की कुलपति सुहृता पाल को हटाने का आदेश दिया है। शुक्रवार को सूत्रों ने इसकी जानकारी दी।
आरोप है कि सुहृता पाल को नियमानुसार कुलपति पद पर नियुक्त नहीं किया गया था। इसके बाद उन्होंने पाल को कुलपति के पद से हटाने का आदेश दिया है।
अस्थाई कुलपति नियुक्ति पर राज्य शिक्षा विभाग के साथ राज्यपाल की ‘कड़वाहट’ लगातार बढ़ती जा रही है| कुलाधिपति राज्यपाल बोस ने राज्य के 11 विश्वविद्यालयों में अस्थाई कुलपतियों की नियुक्ति की है। राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा था कि राज्य उच्च शिक्षा विभाग सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलाधिपति यानी राज्यपाल द्वारा नियुक्त कुलपतियों को मान्यता नहीं देगा।
इस घटना के बाद राज्यपाल ने राज्य के 16 विश्वविद्यालयों के अंतरिम कुलपतियों के साथ बैठक की थी। इसका विरोध करते हुए ब्रात्य ने कहा कि यह घटना उच्च शिक्षा में हस्तक्षेप है। राजभवन की ओर से हमारे राज्य की उच्च शिक्षा में अभूतपूर्व हस्तक्षेप हो रहा है।
वहीं, दूसरी ओर, स्टेट यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलाजी (मैकॉट) के अंतरिम कुलपति गौतम मजूमदार ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया था। गौतम को राज्यपाल ने ‘एकतरफा’ नियुक्त किया था। जादवपुर विश्वविद्यालय के कुलपति अमिताभ दत्ता ने भी इस्तीफा दे दिया है। उन्हें राज्यपाल आनंद बोस द्वारा अस्थाई कुलपति के रूप में भी नियुक्त किया गया था।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी राज्यपाल की भूमिका पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने बुधवार को झाड़ग्राम में कहा था कि हमारे गवर्नर अब काला चश्मा पहनते हैं। वह एक की जगह 10 पहन सकते हैं। ज्ञान बांटते फिर रहे हैं, लेकिन अगर हम कुलपतियों के नाम प्रस्तावित कर भेजते हैं तो भी वे नियुक्ति नहीं करते हैं।
वे केरल से लोगों को लाकर अपने इच्छानुसार नियुक्त कर रहे हैं। केरल से हमारे कई दोस्त यहां रह रहे हैं, हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन यह याद रखना चाहिए कि वीसी (कुलपति) बनने के लिए कम से कम 10 साल का शिक्षण अनुभव होना चाहिए। आलिया यूनिवर्सिटी में एक शख्स वीसी बनाया गया, वे केरल में आइपीएस थे। जिनका शिक्षा क्षेत्र से कोई संबंध नहीं है। यही नहीं ममता ने राज्यपाल को भाजपा ज्वाइन करने की बातें कह दी थी।