sonu jha
कोलकाता : पश्चिम बंगाल के सुंदरवन क्षेत्र में एक से चार वर्ष की आयु के बच्चों की डूबने से होने वाली मौत की दर दुनिया भर में सबसे अधिक यानी 243 प्रति लाख आबादी दर्ज की गई है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। यह आंकड़ा 2016 से 2019 के बीच का है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि इस क्षेत्र में पांच से नौ वर्ष की आयु के बच्चों में मृत्यु दर 38.8 प्रति लाख आबादी है।
अक्टूबर 2016 से सितंबर 2019 तक सामने आई घटनाओं पर क्षेत्र के 19 प्रखंडों में यह अध्ययन किया गया था। इन 19 प्रखंडों में से 13 दक्षिण 24 परगना में जबकि छह उत्तर 24 परगना में हैं। यह अध्ययन हाल में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में कहा गया है कि लड़कों और लड़कियों के बीच मृत्यु दर में कोई अंतर नहीं है। अधिकतर बच्चे अपने घरों के 50 मीटर के भीतर तालाबों में डूब गए। घटना के समय उनकी प्राथमिक देखभाल करने वाले लोग घरेलू कामकाज में लगे हुए थे और उनके साथ नहीं थे। तटीय सुंदरवन क्षेत्र में बच्चों डूबने की समस्या की भयावहता का अंदाजा लगाने के लिए गैर-सरकारी संगठन ‘चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट’(सीआइएनआइ) ने वैश्विक एजेंसियों ‘रायल नेशनल लाइफबोट इंस्टीट्यूशन’ (आरएनएलआइ) और ‘द जार्ज इंस्टीट्यूट’ (टीजीआइ) के साथ साझेदारी के तहत यह अध्ययन किया।
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100 से अधिक द्वीपों में फैला है सुंदरवन
भारतीय क्षेत्र में सुंदरवन मैनग्रोव 100 से अधिक द्वीपों में फैला है और यहां करीब 40 लाख लोग रहते हैं। कुल आबादी में बच्चों की संख्या करीब 15.9 प्रतिशत है और उनकी उम्र एक साल से नौ साल तक है। ज्यादातर बस्तियां दूर-दराज में हैं और चिकित्सा सुविधाओं से बेहद दूर हैं। सुंदरवन के जल निकायों में मानसून के दौरान जल स्तर बढ़ जाता है जबकि तटीय क्षेत्र में भी चार से पांच साल के अंतराल में बाढ़ की घटनाएं होती हैं।
बच्चों के डूबने की समस्या पर चिंता जताते हुए बंगाल के सुंदरवन मामलों के मंत्री बंकिम चंद्र हाजरा ने कहा कि राज्य सरकार इस समस्या के समाधान का प्रयास कर रही है। हाजरा ने कहा कि यह स्वीकार करने में हमें कोई हिचक नहीं है कि डूबने से बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं। फिलहाल यह विस्तृत रिपोर्ट नहीं है। सुंदरवन के निवासियों को डूबने के खतरे के बारे में उसी तरह जागरुक करना चाहिए जिस तरह उन्हें डेंगू, मलेरिया या बाल विवाह को लेकर जागरुक किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है। हर साल हम कई युवाओं को डूब कर जान गंवाते देखते हैं। लोगों से इस समस्या के हल के बारे में पूछा जाना चाहिएI