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कोलकाता : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने आखिरकार बंगाल के शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती केंद्रीय विश्वविद्यालय से विवादित पट्टिकाओं को हटाने का आदेश जारी किया है। इसकी जगह विश्वविद्यालय परिसर में नई पट्टिका लगाने को कहा गया है। इसमें क्या लिखा होगा इसकी जानकारी भी केंद्र ने दी है। नई पट्टिका पर प्रधानमंत्री सह विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और कुलपति का नाम नहीं होगा। केंद्र सरकार ने नई पट्टिका पर लिखने के लिए मसौदा भी विश्वविद्यालय को भेजा है। नई पट्टिका पर तीन भाषाओं- अंग्रेजी, बांग्ला और हिंदी में उसे लिखा जाएगा।
विश्वविद्यालय के अधिकारियों को अंग्रेजी मसौदे का दो भाषाओं में अनुवाद करने और पट्टिका बनाने के लिए एक समिति गठित करने को कहा गया है। छह सदस्यीय समिति में विश्वविद्यालय के चार विभागाध्यक्ष होंगे।
नई पट्टिका के लिए केंद्र द्वारा भेजे गए अंश में कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर को विश्वभारती का संस्थापक बताया गया है। इसमें संस्थान का संक्षिप्त विवरण भी दिया गया है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 1901 में टैगोर ने की थी। बाद में संसद में एक कानून के जरिए इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि हाल में विश्वभारती को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर केंद्र के रूप में मान्यता दी गई है। इसके बाद विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा परिसर में यूनेस्को की मान्यता से संबंधित कई पट्टिकाएं लगाई गई थी, जिसमें हाल में सेवानिवृत्त हुए पूर्व कुलपति विद्युत चक्रवर्ती और कुलाधिपति के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी के नाम अंकित थे। लेकिन विश्वविद्यालय के संस्थापक रवींद्रनाथ टैगोर का नाम नहीं था, जिस पर काफी विवाद हुआ।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसपर कड़ा एतराज जताया था और उनके निर्देश पर तृणमूल कांग्रेस ने पट्टिका हटाने की मांग को लेकर विश्वविद्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन भी शुरू किया था। इसके बाद राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी पट्टिका में टैगोर का नाम नहीं पर आपत्ति जताई थी और विश्वविद्यालय प्रशासन से इसपर स्पष्टीकरण मांगा था। बाद में बंगाल भाजपा नेतृत्व ने भी पट्टिका में टैगोर का नाम शामिल नहीं किए जाने की आलोचना की थी। आखिरकार अब इस विवाद में केंद्र ने हस्तक्षेप किया है