संघमित्रा सक्सेना
कोलकाता: बरूईपुर पूर्व विधानसभा अंतर्गत दक्षिण 24 परगना के चंपाहटी चिनार मोड़ में विशाल जनसभा का आयोजन किया गया। वूधवार शाम को होनेवाली इस सभा में हजारों की संख्या में तृणमूल समर्थकों की भीड़ देखने को मिली। जहा मेयर ने अपनी उपस्थिति से सभा के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया।
वही दूसरी ओर चुनावी सभा दक्षिण 24 परगना के डोसा चलता ताला में की गई। केएमसी के मुख्य प्रशासक फिरहाद हकीम ने एक दिन में दो अलग अलग सभा को संबोधित की। बता दे कि पंचायत चुनाव के दिन ज्यों ज्यों नजदीक आ रही है ऐसे में तृणमूल कोई चूक नहीं चाहती, और यही वजह है कि तृणमूल नेतृत्व विभिन्न जिलों में अपना प्रचार अभियान चला रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पंचायत चुनाव के इस जमीनी लड़ाई में कांग्रेस और सीपीएम इस बार खाता खोलेगी लेकिन भाजपा को कई जिलों में हार का सामना करना पड़ेगा। वहीं भारी मतों से तृणमूल कांग्रेस आगे रहेगी।
*आगे क्यों रहेगी तृणमूल कांग्रेस*
पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य है जहां बिना दलील के कुछ साबित नहीं होता है। यानी आपको अपनी बात रखने के लिए जरूरी लॉजिक देना होगा। जो भाजपा नहीं दे पा रही है।
*कांग्रेस ब्रिटिश ताकत के खिलाफ आंदोलन के जरिए बंगाल को स्वाधीनता की सुख प्रदान की थी। बंगाल कई आंदोलनों का साक्षी हैं।
* सिपिआईएम श्रमिक आंदोलन के जरिए सत्ता को हासिल की थी।
*तृणमूल कांग्रेस की सिंगुर आंदोलन संपूर्ण देश में एक नेशनल मूवमेंट बन चुकी थी। और किसानों के भरपूर समर्थन के साथ यह सरकार सत्ता में आई थी।
*निष्कर्ष क्या है*
राजनीति विशेषज्ञों की माने तो बंगाल के लोग न्याय और आंदोलन प्रिय हैं। हक के लिए आवाज उठाने से नहीं डरते। और जो उनके साथ होते हैं वहीं सत्ता पर राज करता है। अर्थात निष्कर्ष यह है कि वर्तमान समय पर भाजपा केवल और केवल कानूनी दावपेच और मीडिया में ही सिमटी हुई है। इसके आलावा उनके पास कोई जोरदार मुद्दा नहीं है। जो तृणमूल पार्टी के लिए संकट सावित हो। आपको और भी बताएं कि पिछले लोकसभा चुनाव में 42 सीटों में मुख्य विरोधी के हिसाब से भाजपा ने 18 सीट बंगाल में हासिल कर एक नई दिशा दी थी। लेकिन भाजपा की गलत पॉलिटिक्स स्ट्रेटजी फिर से उन्हें जनता जनार्दन से दूर कर दी। मिदनापुर के सांसद दिलीप घोष की मेहनत पानी में चला गया। क्योंकि अब दिलीप घोष की जगह सुकांत मजूमदार और शुभेंदु अधिकारी जैसे नए नेता पर भाजपा ने अपनी भगड़ोर दे दी।