SONU JHA
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पंचायत के तीनों स्तरों पर पार्टी पदाधिकारियों के कार्यकाल का नवीनीकरण की व्यवस्था करने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक शुरुआती चर्चा में इस बात पर सहमति बनी कि पार्टी शुरू से ही हर छह महीने में मूल्यांकन के बाद तय करेगी कि निर्वाचित प्रतिनिधि पद पर रहेगा या नहीं। काम पसंद नहीं आने पर पार्टी नेतृत्व जिम्मेदारी से हटाकर पार्टी का लक्ष्य स्पष्ट करना चाहता है।
मतदान प्रक्रिया पूरी होते ही सत्तारूढ़ खेमे में बोर्ड गठन की गतिविधियां शुरू हो गई हैं। पार्टी के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी इस मामले में पदाधिकारियों के चयन की प्रक्रिया के साथ-साथ उम्मीदवारों के चयन में भी केंद्रीय नियंत्रण चाहते हैं। इतना ही नहीं वे नये पंचायत के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों की गतिविधियों पर भी नियमित निगरानी रख रहे हैं। और अगर पार्टी की निगरानी में कोई कमी, अनियमितता या निष्क्रियता पाई गई तो नियमित बदलाव किया जाएगा। प्रारंभ में यह मूल्यांकन हर छह महीने में एक बार किया जाएगा हालांकि टीम स्तर पर सत्यापन की एक प्रणाली है, पूरी प्रक्रिया में टीम के साथ एक पेशेवर परामर्श फर्म भी शामिल होगी। प्रमुखों के फेरबदल की स्थिति में उन्हें अपनी पार्टी के निर्देशों का पालन करना होगा। क्योंकि नियमों के मुताबिक ढाई साल से पहले उनके खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।
शिकायत के लिए फोन नंबर उपलब्ध कराने पर विचार :
अभिषेक ने चुनाव प्रचार के दौरान कई बैठकों में पंचायत गतिविधियों में इस सतर्कता का आश्वासन दिया था। मुख्यमंत्री ने प्रचार में यह भी घोषणा की थी कि इस बार पंचायत प्रबंधन ऊपर से देखा जाएगा। उनके मुताबिक, आम लोगों को ग्राम पंचायत, पंचायत समिति या जिला परिषद के कामकाज के बारे में शिकायत करने के लिए एक फोन नंबर उपलब्ध कराने पर भी विचार किया गया है। स्थानीय लोगों के सुझाव के अनुसार क्षेत्र की विकास परियोजनाओं को तय करने के लिए इस प्रणाली का उपयोग करने का भी विचार किया गया है।
संभावित पदाधिकारियों की पहचान कर ली गई :
पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रत्याशी चयन के समय तीनों स्तरों पर संभावित पदाधिकारियों की पहचान कर ली गई है। अब परिणाम देखने के बाद इसे निर्धारित करने के लिए जिले से राय ली जा रही है। प्रमुख या अध्यक्ष के लिए तीनों स्तर पर कई दावेदार हैं। जिला परिषद के अध्यक्ष या कार्यकारिणी का चयन पार्टी नेतृत्व करेगा। हालांकि, ग्राम पंचायत और पंचायत समिति स्तर पर कई दावेदारों के कारण समस्या पैदा होने का डर है। इन दोनों मामलों में अगर स्थानीय स्तर पर चयन की जिम्मेदारी छोड़ दी गई तो पार्टी की स्थिति बदलने का खतरा हो सकता है। उस समस्या से बचने के लिए जिले के कई नेता चाहते हैं कि निचले स्तर के अधिकारियों का चयन ऊपर से किया जाए।