– बैरकपुर में आयोजित शिविर में 62 लोगों ने किया रक्तदान, बीएसएफ के आईजी मेडिकल ने किया रक्तदान शिविर का उद्धघाटन
संवाददाता, कोलकाता : समाजसेवी संस्था अंकुर ने हर साल की भांति न्यू बैरकपुर के बिशारपारा, कोडलिया में रविवार को अपना 18वां वार्षिक स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित किया, जिसमें बढ़-चढ़कर लोगों ने महादान किया।इस अवसर पर मुख्य अतिथि बीएसएफ के पूर्वी कमान मुख्यालय, कोलकाता के आईजी (मेडिकल) डा आशीष कुमार मजूमदार ने इस रक्तदान शिविर का उद्धघाटन किया।इस दौरान विशिष्ट अतिथि के तौर पर सुरजीत सिंह गुलेरिया, उप महानिरीक्षक (डीआइजी), बीएसएफ मुख्यालय, पूर्वी कमान उपस्थित थे।
अंकुर संस्था के अध्यक्ष संजय साहा ने बताया कि लाइव केयर ब्लड बैंक के सहयोग से आयोजित इस शिविर में कुल 62 लोगों ने स्वेच्छा से रक्तदान किया। इस मौके पर संस्था के सचिव नूपुर भट्टाचार्य, रतन राय चौधरी, स्वपन मुखर्जी, मोहित साहा, खोकन वैद्य, रामू राजभर, प्रलय मंडल व अन्य मौजूद रहे।
उद्घाटन अवसर पर अपने संबोधन में आईजी (मेडिकल) डा आशीष कुमार मजूमदार ने कहा कि आज इस रक्तदान महोत्सव में आपके बीच आकर मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वस्थ नागरिकों को स्वेच्छा से रक्तदान करके जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कई भारतीय नागरिक इस नेक कार्य के प्रति बहुत जागरूक और समर्पित हैं। वे कई बार रक्तदान कर चुके हैं। उन्होंने भारत में सबसे ज्यादा बार रक्तदान करने वाले शख्स कश्मीर क्षेत्र के साबिर खान का जिक्र किया। उन्होंने 58 वर्ष की आयु तक 174 यूनिट रक्तदान किया और स्थान, जाति और समाज की परवाह किए बिना स्वेच्छा से ऐसा किया। डा मजूमदार ने कहा कि रक्तदान एक महादान ही नहीं, बल्कि इसे जीवनदान कहना उचित होगा। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि कोलकाता में 1942 में आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ (अखिल भारतीय स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान) में भारत का पहला रक्तदान शिविर आयोजित किया था, जिसे रेड क्रास सोसाइटी द्वारा आयोजित किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान युद्ध में घायल सैनिकों को रक्त की आवश्यकता थी और इस नेक प्रयास में मुख्य रूप से सरकारी कर्मचारियों और तत्कालीन एंग्लो इंडियन समुदाय ने हिस्सा लिया था। बाद में एंग्लो इंडियन समुदाय की लीला मूलगांवकर ने मुंबई में 1954 में रक्तदान शिविर का आयोजन किया था। बाद में एक अक्टूबर को राष्ट्रीय रक्तदान दिवस घोषित किया गया।