– भारतीय अर्थव्यवस्था और बाज़ारों पर जेफरीज का दृष्टिकोण
– 2030 तक भारत का बाजार पूंजीकरण 10 ट्रिलियन डॉलर का हो जाएगा
कोलकाता/नई दिल्ली, पीआईबी : वैश्विक निवेश सलाहकार फर्म, जेफरीज ने भारतीय अर्थव्यवस्था और इसके इक्विटी बाजारों के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण का अनुमान प्रस्तुत किया है। न्यूयॉर्क मुख्यालय वाली फर्म ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि पिछले दस वर्षों में, भारत में मूलभूत संरचनात्मक सुधार हुए हैं, जिसके फलस्वरूप देश को अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए एक रूपरेखा मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है, “अगले 4 वर्षों में, भारत की जीडीपी संभवतः 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी, जिससे यह 2027 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी और सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा बरकरार रखेगी।”

सतत आर्थिक विकास की प्रक्रिया में, जेफरीज को उम्मीद है कि 2030 तक भारतीय शेयर बाज़ार 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत का बाज़ार पूंजीकरण 4.3 ट्रिलियन डॉलर के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका (44.7 ट्रिलियन डॉलर), चीन (9.8 ट्रिलियन डॉलर), जापान (6 ट्रिलियन डॉलर) और हांगकांग (4.8 ट्रिलियन डॉलर) से पीछे दुनिया में 5वें स्थान पर है। भारतीय इक्विटी बाजार पिछले 5-20 वर्षों की अवधि में डॉलर के संदर्भ में लगातार 10 प्रतिशत वार्षिक रिटर्न देने में सक्षम रहे हैं; जो उभरते बाज़ार क्षेत्र में अपने किसी भी वैश्विक प्रतिस्पर्धी से कहीं बेहतर है।” फर्म का कहना है कि नए सिरे से पूंजीगत व्यय चक्र और मजबूत आय स्वरूप के साथ, भारतीय बाजार अगले 5-7 वर्षों में आकर्षक वृद्धि जारी रखेंगे।
जेफ़रीज का मानना है कि भारतीय बाज़ार में दखल अब भी कम है। इसका मंतव्य यह है कि इक्विटी में घरेलू बचत केवल 4.7 प्रतिशत ही है। बहरहाल, भारत में डिजिटल प्रगति ने पारंपरिक और खुदरा निवेशकों के बीच के भेद को मिटा दिया है। खुदरा निवेशक प्रौद्योगिकी से पूरी तरह वाकिफ हैं और वे स्टॉक मार्केट तक अभूतपूर्व पहुंच रखते हैं। इस तरह सभी खुदरा निवेशक समान स्तर पर विद्यमान हैं। इसके अलावा, व्यवस्थित निवेश योजनाओं (एसआईपी) ने खुदरा निवेशकों के बीच निवेश के लिए एक अनुशासित दृष्टिकोण को दर्शाते हुए काफी लोकप्रियता हासिल की है। रिपोर्ट में कहा गया है, “नियामकों और वित्त मंत्रालय द्वारा म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ, हमें उम्मीद है कि भारत के इक्विटी बाजारों में अधिक बचत होगी।” बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारत में सूचीबद्ध होने का उपयुक्त समय जेफरीज का आगे कहना है कि एक मजबूत विकास प्रोफ़ाइल, भारतीय बाजारों के बढ़ते दबदबे और भारी फायदा पैदा करने के ट्रैक रिकॉर्ड के जरिए क्रमिक रूप से लगातार बढ़ते विदेशी निवेश प्रवाह को आकर्षित में सफल होगा।
अपनी भारतीय सहायक कंपनी को सूचीबद्ध करने के दक्षिण कोरियाई बहुराष्ट्रीय कंपनी हुंदै इंडिया के फैसले का उदाहरण देते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में मजबूत पकड़ वाली कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए सूचीबद्ध संस्थाएं बनने का यह उपयुक्त समय है। यदि अमेज़ॉन, सैमसंग, ऐप्पल, टोयोटा आदि जैसी बड़ी वैश्विक कंपनियां ऐसा सोचने लगें, तो यह कदम भारतीय इक्विटी पूंजी बाजारों के लिए परिवर्तनकारी हो सकता है।
दीर्घकालिक सुधारों ने मजबूत भविष्य की नींव रखी है
यह रिपोर्ट उच्च वृद्धि के उद्देश्य से एक इकोसिस्टम बनाने के लिए सरकार द्वारा किए गए निरंतर सुधारों को श्रेय देती है। “2014 के बाद से, मोदी सरकार ने देश में ‘कारोबार में सुगमता’ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई सुधारों को सफलतापूर्वक पूरा किया है। 2017 के ऐतिहासिक जीएसटी सुधार ने कई कराधान संरचनाओं को एक सामान राष्ट्रीय प्रणाली में सीमित कर दिया, जो भारतीय राज्यों में वस्तुओं और सेवाओं की ‘यूरोज़ोन’ शैली प्रवाह बनाने के समान था। 2016 का दिवाला कानून बैंकिंग प्रणाली में ऐसे ऋणों का प्रबंध करने में तेजी लाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ जहां उधारकर्ताओं को एक निर्धारित समय के भीतर बकाया ऋण चुकाना था। रिपोर्ट में कहा गया कि 2017 के रियल एस्टेट नियामक कानून (आरईआरए) ने विशाल, असंगठित संपत्ति क्षेत्र के बकाये का भुगतान करने में मदद की।
निष्कर्ष में जेफ़रीज़ की रिपोर्ट कहती है, “बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव की दुनिया में, भारत कुशलतापूर्वक जी 7 के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में कामयाब रहा है, जबकि ब्रिक्स का भी पूरी तरह से सदस्य बन गया है, जैसाकि पिछले वर्ष सितम्बर में दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की व्यापक रूप से स्वीकृत सफलता से परिलक्षित होता है।”
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