कोलकाता, विशेष संवाददाता : सेना की पूर्वी कमान मुख्यालय के चीफ आफ स्टाफ (सीओएस) लेफ्टिनेंट जनरल केके रेप्सवाल भारतीय सेना में महत्वपूर्ण पदों पर 38 वर्षों की शानदार सेवा के बाद 31 दिसंबर 2022 को सेवानिवृत हो गए।
इस अवसर पर उनके सम्मान में कोलकाता स्थित कमान मुख्यालय फोर्ट विलियम में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें भव्य विदाई दी गई। कार्यक्रम में मौजूद पूर्वी सेना कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता समेत सभी रैंकों के अधिकारियों ने सेना में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सराहना करते हुए उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
सेवानिवृत्ति के अवसर पर फोर्ट विलियम स्थित विजय स्मारक पर लेफ्टिनेंट जनरल रेप्सवाल ने पुष्प चक्र अर्पित कर बलिदानियों को श्रद्धांजलि भी दी।एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि लेफ्टिनेंट जनरल रेप्सवाल ने अपने शानदार करियर में सेना में कई महत्वपूर्ण पदों व दुर्गम मोर्चों पर अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने विभिन्न रेजिमेंटल, स्टाफ और कमांड नियुक्तियों को संभाला है।
असाधारण कार्य के लिए सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से भी हुए अलंकृत
सेवा के दौरान असाधारण व श्रेष्ठ कार्य के लिए वे प्रतिष्ठित सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से भी अलंकृत हुए। मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनूं जिले के रहने वाले रेप्सवाल ने 16 अप्रैल 2021 को पूर्वी कमान मुख्यालय, कोलकाता में चीफ आफ स्टाफ का पद संभाला था। कमांड मुख्यालय में नीति संशोधन और कई प्रमुख परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।इसके पहले उन्होंने जयपुर स्थित सेना के दक्षिण पश्चिमी कमान के चीफ आफ स्टाफ के रूप में भी जिम्मेदारी संभाली। उससे पहले सप्त शक्ति कमान के चीफ आफ स्टाफ भी रहे।
1984 में कोर आफ इंजीनियर्स में प्राप्त किया था कमीशन
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र रहे रेप्सवाल ने 15 दिसंबर 1984 को कोर आफ इंजीनियर्स में कमीशन प्राप्त किया था। वे भारतीय सैन्य अकादमी से प्रतिष्ठित स्वार्ड आफ आनर के साथ उत्तीर्ण हुए थे। स्वार्ड आफ आनर पूरे बैच के सर्वश्रेष्ठ आलराउंड को दिया जाता है। रेप्सवाल एक उत्कृष्ट खिलाड़ी और गोल्फर भी रहे हैं।
बंगाल सैपर्स मार्चिंग दल का भी किया था नेतृत्व
लेफ्टिनेंट जनरल रेप्सवाल ने पोर्ट ब्लेयर में इंडिपेंडेंट फील्ड कंपनी, इंजीनियर रेजिमेंट और चीफ इंजीनियर (अंडमान और निकोबार) जोन की कमान भी संभाली है। अंडमान और निकोबार क्षेत्र के मुख्य अभियंता के रूप में उनके कार्यों के लिए उन्हें सेना पदक (प्रतिष्ठित) से सम्मानित किया गया था, जहां उन्होंने सेना, नौसेना, वायुसेना और तटरक्षक बल के लिए प्रमुख परियोजनाओं की योजना बनाई और उन्हें क्रियान्वित किया। सेवा में उनके अनुकरणीय समर्पण और योगदान के लिए नई दिल्ली में इंजीनियर-इन-चीफ की शाखा में उनके कार्यकाल के दौरान विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया था।
रेप्सवाल को 1988 में सेना दिवस परेड और गणतंत्र दिवस के दौरान बंगाल सैपर्स मार्चिंग दल की कमान संभालने का भी गौरव प्राप्त है, जहां बंगाल सैपर्स को सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग दल घोषित किया गया था। रेप्सवाल को जनवरी 1989 में भारत के राष्ट्रपति के हाथों बंगाल सैपर्स की ओर से ध्वज प्राप्त करने का भी अवसर प्राप्त है।
डूरंड कप के अध्यक्ष के रूप में भी संभाली जिम्मेदारी, विरासत को किया पुनर्जीवित
लेफ्टिनेंट जनरल रेप्सवाल ने 2021 से प्रतिष्ठित डूरंड कप आयोजन समिति के अध्यक्ष के रूप में भी जिम्मेदारी संभालते हुए रणनीतिक दृष्टि प्रदर्शित की और अकेले दम पर डूरंड कप की विरासत को पुनर्जीवित किया है।उनके नेतृत्व में 2022 में फुटबाल के दीवाने शहर कोलकाता में भव्य स्तर पर डूरंड कप का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर की टीमों ने हिस्सा लिया।
इसके अलावा एशियाई फुटबॉल महासंघ द्वारा डूरंड कप को मान्यता देना और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के वार्षिक फुटबॉल कैलेंडर में शामिल करना उनकी ऐतिहासिक उपलब्धियां हैं जो फुटबॉल को बढ़ावा देने में काफी मददगार साबित होंगी।
23 आर्मी पब्लिक स्कूलों के बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के अध्यक्ष के रूप में काम किया
लेफ्टिनेंट जनरल रेप्सवाल ने 23 आर्मी पब्लिक स्कूलों के लिए बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के अध्यक्ष के रूप में भी जिम्मेदारी संभाली और स्कूल के बुनियादी ढांचे के उन्नयन के अलावा बेजोड़ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में उनका योगदान परिणामों के माध्यम से परिलक्षित होता है। इसमें ईस्टर्न कमांड स्कूल आर्मी स्कूलों में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान हासिल कर रहे हैं।
दो बेटे भी दे रहे सेना में सेवा, भाई भी हैं लेफ्टिनेंट जनरल
रेप्सवाल के दो बेटे भी इस समय मेजर के रूप में भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं। रेप्सवाल के भाई भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल हैं। उनके दिवंगत पिता भी सेना के कर्नल पद से रिटायर रहे हैं। यानी उनके परिवार से तीन पीढ़ी से लोग भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं। रेप्सवाल की धर्मपत्नी श्रीमती विद्या रेप्सवाल भी एक शिक्षाविद् हैं और प्रसिद्ध बिड़ला बालिका विद्यापीठ, पिलानी में पढ़ाती हैं।