
संघमित्रा सक्सेना
कोलकाता: आज 4 जुलाई स्वामी विवेकानंदजी के मृत्यु दिवस में संपूर्ण देश उन्हें स्मरण कर रहे हैं। हिंदू धर्म के नवजागरण की प्रतीक स्वामीजी सारे विश्व को नए दिशा से हिंदू धर्म से परिचित करवाएं थे। वेद और वेदांत के व्याख्या उन्होंने तर्क के साथ किए थे। जिसका सभी लोग भरपूर समर्थन किया या था। जीव सेवा ही मनुष्य का असली धर्म हैं। अपने इस बात को स्वामी ने अपने कर्म के जरिए प्रमाण भी किया था।

रामकृष्ण परमहंस के इस शिष्य ने अपनी सोच से हिंदू धर्म से जुड़े कुसंस्कार के खिलाफ जाकर महिला शिक्षा और सनातन हिंदू धर्म, जो इसका सार हैं, उसे जगत के समक्ष रखा था विवेकानंद। यह महान सन्यासी का जन्म 12 जनवरी 1863 में हुआ था। स्वामीजी सन 1902 के 4 जुलाई, मात्र 39 साल में परलोक यात्रा किए। बेलुर मठ स्वामीजी का स्वप्न था। जो आज पूरे विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय संस्था हैं। आपको बता दे कि यहां जरूरतमंद लोगों की शिक्षा से लेकर स्वस्थ तक हर संभव सहायता की जाती है।
स्वामीजी मानते थे कि समाज तभी आगे बढ़ेगी जब समाज की महिला शिक्षित होगी। इसलिए उन्होंने कई स्कूल निर्माण किए। जिसमे लड़कियां आज भी पड़ने जाती है। भाषा शिक्षा पर विवेकानंद ने विशेष जोर दिया। उत्तर कोलकाता स्थित स्वामी विवेकानंद के पुरखों की घर पर आज भी विभिन्न विषय पर शिक्षा प्रदान जारी हैं। यहां की लाइब्रेरी गरीब बच्चों के लिए है। जहां कोई भी अपना नाम दर्ज कराकर अपनी पढ़ाई कर सकते है। आज भी पूरे देश तथा विश्व उनके वाणी को याद करते हैं।
*स्वामीजी की 5 महान वाणी*
* खुद को कभी कमज़ोर मत समझो, इससे बड़ा पाप और कुछ नहीं है।
*उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हे तुम्हारी मंजिल नहीं मिले।
*कोई भी काम को इतना दिल लगाकर करो कि वह काम तुम्हारी पहचान बन जाएं।
*कोई भी काम हो या पढ़ाई, संपन्न करने के लिए ध्यान लगाना जरूरी है। एकमात्र मेडिटेशन दिमाग को स्वस्थ और तेजस्वी रखती है।
*जबतक शरीर है तबतक सीखना है, और सीखने का कोई उम्र नहीं होता है। सीखने से अनुभव बढ़ती है जो आनेवाले समय पर काम आती है।
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