डेस्क: कोलकाता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार, 25 मार्च को बीरभूम हिंसा मामले में सुनवाई करते हुए जांच के लिए गठित बंगाल सरकार की विशेष जांच टीम (SIT) को फटकार लगाकर कहा कि वह जांच में कोई महत्वपूर्ण योगदान देने में विफल रही है। इसलिए अब इस मामले की जांच एसआईटी की जगह सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया गया है।
जिंदा जलाने से पहले हुई बेरहमी से उनकी पिटाई
यह भी देखा गया कि पुलिस थाने के आसपास होने के बावजूद पुलिस घटना स्थल तक पहुंचने में विफल रही। बंगाल के बीरभूम में आठ लोगों की मौत 22 मार्च को उनके घरों में आग लगने के बाद हुई थी। यह घटना इलाके के एक टीएमसी कार्यकर्ता की मौत के बाद हुई थी। नेता। बता दें कि मरने वालों में तीन महिलाएं और दो बच्चे भी शामिल हैं। कथित तौर पर शवों के पोस्टमार्टम से पता चला कि पीड़ितों को जिंदा जलाने से पहले बेरहमी से उनकी पिटाई की गई थी।
एसआईटी द्वारा कोई प्रभावी योगदान नहीं दिया गया
कोलकाता हाईकोर्ट के जजों की पीठ ने मामले की बारीकी से जांच करने के बाद पाया कि 22 मार्च को एसआईटी का गठन किया गया था, लेकिन अब तक एसआईटी द्वारा जांच में कोई प्रभावी योगदान नहीं दिया गया है। घटना स्थल के काफी नजदीक होने के बावजूद पुलिस भी समय पर नहीं पहुंची और घरों में फंसे लोग जलते रहे।
गौरतलब है कि बंगाल सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया था। इस मामले में 20 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। लेकिन कोलकाता हाईकोर्ट ने अब यह जांच CBI को सौपने का फैसला सुनाया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीड़ितों के परिवारों के लिए 5 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की थी।