Breaking News

बीएसएफ की पहल से बांग्लादेश में रहने वाली बहनों को नसीब हुए भारत में अपने भाई के अंतिम दर्शन

कोलकाता : सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के साथ सीमा वासियों के भावनात्मक और सामाजिक मूल्यों का भी पूरा ख्याल रख रही हैं। इसी क्रम में बंगाल में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा में तैनात बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर की पहल से एक बार फिर बांग्लादेश में रहने वाली तीन बहनों व अन्य रिश्तेदारों को भारत में अपने भाई का अंतिम दर्शन नसीब हो सका है।

 

 

इसी के साथ बीएसएफ ने पड़ोसी देश में रहने वाली तीनों बहनों को यहां भाई के निधन के बाद उनके अंतिम दर्शन कराकर न सिर्फ इंसानियत का धर्म निभाया है बल्कि अपने आदर्श वाक्य जीवन पर्यंत कर्तव्य को भी फिर सिद्ध किया है। अधिकारियों ने बताया कि यह घटना नदिया जिले के सीमावर्ती इलाके में तैनात बल की 107वीं वाहिनी की सीमा चौकी सुतिया इलाके की है जब इस प्रकार का एक संवेदनापूर्ण प्रकरण शनिवार को सामने आया। यहां के सीमावर्ती गांव बांसघाटा के रहने वाले महताब मंडल ने सीमा चौकी सुतिया के कंपनी कमांडर को सुबह करीब 10 बजे बताया कि उनके भाई जुल्फिकार अली मंडल (स्कूल शिक्षक) का देहांत हो गया है। उनकी तीन बहनें और रिश्तेदार सीमा पार बांग्लादेश में रहते हैं। उन्होंने अनुरोध किया कि अगर बीएसएफ मदद कर दे तो उनकी बहनों और रिश्तेदारों को भाई के अंतिम दर्शन नसीब हो जाएंगे।

भाई के अनुरोध पर बीएसएफ ने तुरंत बढ़ाया कदम

इसके बाद कंपनी कमांडर ने उनकी बात सुनकर मानवीयता और भावनात्मक पहलू को ध्यान में रखते हुए बिना कोई देर किए इस बारे में तुरंत अपने समकक्ष बार्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के अधिकारियों से संपर्क किया। बीएसएफ के अनुरोध के बाद बीजीबी ने भी मानवीय दृष्टिकोण को देखते हुए कदम आगे बढ़ाया। लिहाजा दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों ने आपसी सहयोग के मद्देनजर मानवता को सर्वोपरि रखते हुए बांग्लादेश में रहने वाली तीनों बहनों व अन्य रिश्तेदारों को अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास जीरो लाइन पर सुबह 11.10 बजे उनके भाई के अंतिम दर्शन करवाने की व्यवस्था की। अधिकारियों ने बताया कि इस तरह मृतक की तीनों बहनें खैरों मंडल (62), फिरदोशी मंडल (50) व खोदेजा मंडल (65) समेत मौसी अखिरा मंडल (65), फातिमा मंडल (62) और मामा महुदीन मंडल (61) को अंतिम दर्शन संभव हुआ। ये सभी बांग्लादेश के सीमावर्ती गांव बहादुरपुर, जिला- यशोर में रहते हैं, जोकि अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

अंतिम दर्शन के वक्त माहौल हुआ गमगीन, बीएसएफ का जताया आभार

वहीं, जब तीनों बहनों ने अपने भाई के अंतिम दर्शन किए तो वहां का माहौल गमगीन हो गया। अंतिम दर्शन के उपरांत सभी रिश्तेदारों ने सीमा सुरक्षा बल की इस पहल के लिए आभार प्रकट किया और कहा कि आप लोगों की मानवीयता के चलते हमें अपने भाई के अंतिम दर्शन नसीब हुए हैं।

बीएसएफ सदैव सामाजिक व मानवीय मूल्यों का रखती है ख्याल : आइजी फुलझेले

इधर, इस प्रकरण पर दक्षिण बंगाल फ्रंटियर बीएसएफ के महानिरीक्षक (आइजी) डा अतुल फुलझेले, आइपीएस ने बताया कि बीएसएफ के जवान सीमा पर दिन- रात बिना पलक झपकाए तैनात रहते हैं और देश की सुरक्षा के साथ ही सीमा वासियों के सुख- दुख समेत उनके धार्मिक और सामाजिक मूल्यों का भी पूरा ख्याल रखते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सीमा सुरक्षा बल गलत मंशा रखने वालों के खिलाफ है, वहीं जब बात इंसानियत व मानवीय मूल्यों की आती है तो वह सदैव तत्पर रहती है। बता दें कि इससे पहले नदिया जिले में तैनात बीएसएफ की 54वीं वाहिनी की पहल से बांग्लादेश में रहने वाली दो बेटियों को हाल में भारत में बुजुर्ग मां के निधन के बाद अंतिम दर्शन नसीब हो सका था।

 

About editor

Check Also

हावड़ा लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार, एमआईएम के पूर्व संयोजक।

हावड़ा लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार, एमआईएम के पूर्व संयोजक। राजनीतिक महल को अल्पसंख्यक वोट …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *