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पश्चिम बंगाल दिवस पर शुरू हुई राजनीति

 

संघमित्रा सक्सेना,

 

 

कोलकाता : राज्यपाल सी.वी. बोस आनंद ने २० जून पश्चिम बंगाल दिवस की घोषणा की हैं। जिसके उपरांत एक बार फिर सीएम ममता बनर्जी और राज्यपाल के बीच के पॉलिटिकल एथिक्स पर जंग छिड़ चुकी है। राज्यपाल के निर्णय की विरोध करते हुए सीएम ममता बनर्जी ने राज्यपाल को औपचारिक पत्र लिखी।   सीएम ने पत्र में  राज्यपाल के पश्चिम बंगाल दिवस मनाने की निर्णय पर अपना असंतोष प्रकट करते हुए कहा कि १९४७ के इतिहास और त्याग पर राजनीति न करे। सीएम ने और भी कहा यह संपूर्ण आपका खुद का लिया गया निर्णय है जो सही नहीं हैं। इस निर्णय को वास्तविक रूप में शामिल करने के लिए न ही अपने राज्यमंत्रीसभा से सलाह की और न ही अपने राज्य आइनसभा से कोई संपर्क साधे।

 

सत्तारूढ़ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस निर्णय कि भरपूर निंदा की। आनेवाले पंचायत चुनाव के मद्दे नज़र यह सब हो रहा है, ऐसा भी कहना है तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का।

 

आपको बता दें कि, बुद्धजीवियों के अनुसार 20 जून 1947 में पश्चिम बंगाल का जन्म हुआ था। इसके पीछे बेहद दर्दनाक इतिहास छिपा है। 1946 साल के अंत में  Bengal partition league का गठन हुआ था। बाद में यह बंगाल प्रादेशिक संगठन के नाम से परिचित हुआ। 1947 के 29 मार्च British Indian association ke वार्षिक सभा में बंगाल के हिंदुओं के लिए अलग राज्य की मांग की गई। बाद में वांगीय हिंदू सम्मेलन से बंगाल के विभाजन को ही जाति दंगा को रोकने का एकमात्र समाधान करार दिया।

 

*की पॉइंट्स*

* 15 मार्च बंगाल हिंदू सम्मेलन की आयोजन हुई थी।

* 29 मार्च ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन बंगाल के हिंदुओं के पक्ष में एक नया कानून लागू किया।

* 1 को बंगाल गणपरिषद के सदस्यों ने अलग बंगाल के मांग को सामने रखते हुए ब्रिटिश सरकार को डेपुटेशन पेश की

* 4 अप्रैल को बंगभंग सम्मेलन का आयोजन किया गया.

* 23 अप्रैल को इसके समर्थन में कोलकाता में चक्का जाम कर विरोध प्रदर्शन किया गया।

* 4 मई को फिर एक जनसभा अलग बंगाल की मांग पर हुआ।

* 3 जून माउंटबटन इसके पक्ष में बिल लागू की।

* 20 जून अलग बंगाल की मांग पर मुहर लगाते हुए 5821 सदस्यों ने अपना मतदान की। और पश्चिम बंगाल का जन्म हुआ।

 

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