– चुनाव आयुक्त की ज्वाइनिंग रिपोर्ट लौटाने पर ममता ने राज्यपाल पर साधा निशाना
– राजीव सिन्हा के समर्थन में खुलकर उतरीं मुख्यमंत्री
– किया दावा- पंचायत चुनाव में इतनी शांतिपूर्ण नामांकन प्रक्रिया पहले कभी नहीं देखी गई
कोलकाता : बंगाल में पंचायत चुनाव के पहले जारी बेलगाम हिंसा के मद्देनजर राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) राजीव सिन्हा की ज्वाइनिंग रिपोर्ट बुधवार को राज्य सरकार को लौटाए जाने के बाद अब इस मुद्दे पर ममता सरकार व राजभवन के बीच टकराव बढ़ गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गुरुवार को सिन्हा के समर्थन में खुलकर सामने आ गईं और उन्हें पद से हटाने की संभावना से साफ इन्कार करते हुए कहा कि किसी के सनक और पसंद के आधार पर राज्य चुनाव आयुक्त को नहीं हटाया जा सकता है। राज्यपाल पर निशाना साधते हुए ममता ने जोर देकर कहा कि राज्य चुनाव आयुक्त को हटाना एक बोझिल प्रक्रिया है और न्यायाधीशों की तरह महाभियोग के माध्यम से ही उन्हें हटाया जा सकता है। विपक्षी दलों की बैठक के लिए पटना रवाना होने से पहले कोलकाता एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत में ममता ने कहा- एसईसी को ऐसे ही नहीं हटाया जा सकता है। उन्हें राज्यपाल की मंजूरी के बाद ही नियुक्त किया गया था। एसईसी को हटाने की प्रक्रिया काफी बोझिल है।
राज्य चुनाव आयोग की भूमिका का समर्थन करते हुए ममता ने यह भी दावा किया कि राज्य में पंचायत चुनाव के लिए इतनी शांतिपूर्ण नामांकन प्रक्रिया पहले कभी नहीं देखी गई। ममता ने कहा- त्रिपुरा में तो 96 प्रतिशत सीटों पर चुनाव ही नहीं लडऩे देते। हमारे यहां 71 हजार बूथों में से सिर्फ चार बूथों पर ही गड़बड़ी हुई, जिसमें एक बूथ पर तो हमारी ही पार्टी के दो कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई। ममता ने कहा कि इन सबके बावजूद केंद्र सरकार की जितनी एजेंसी हैं, सब हमारे खिलाफ एक हो गई है।
गौरतलब है कि आठ जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव के पहले हुई हिंसा के मद्देनजर राज्य चुनाव आयोग की भूमिका से नाराज राज्यपाल ने अभूतपूर्व कदम के तहत हाल में एसईसी नियुक्त किए गए राजीव सिन्हा की ज्वाइनिंग रिपोर्ट यानी नियुक्ति से संबंधित अपनी सहमति वापस लेते हुए फाइल को बुधवार शाम को राज्य सरकार को लौटा दिया था। राज्यपाल ने नामांकन के दौरान हुई हिंसा को लेकर स्पष्टीकरण के लिए एसईसी को तलब किया था, लेकिन वे नहीं पहुंचे थे, जिसके बाद उन्होंने यह कदम उठाया।