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हाई कोर्ट ने कहा-लगता है चुनाव जीतना पांच साल की नौकरी के समान, क्या इसीलिए इतनी हिंसा?

 

Sonu jha

कोलकाता : बंगाल के हुगली जिले के जंगीपाड़ा में मतगणना के दिन मतगणना केंद्र के बाहर सडक़ पर पड़े मतपत्रों के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने आयोग को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने गुरुवार को  कहा कि लगता है कि चुनाव जीतने का मतलब पांच साल की नौकरी पाना है। यही कारण है कि राज्य भर में इतनी सारी हिंसा हो रही है।

मंगलवार को पंचायत चुनाव की मतगणना के दिन जंगीपाड़ा में डीएन हाई स्कूल के बगल में सडक़ पर मतपत्रों का गुच्छा पाया गया था। माकपा के एक उम्मीदवार ने सैकड़ों मतपत्रों के साथ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उस मामले में जंगीपाड़ा के बीडीओ को तलब किया गया था। वह गुरुवार को न्यायमूर्ति सिन्हा की पीठ के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। सडक़ पर पड़े मतपत्रों के बारे में पूछे जाने पर बीडीओ ने कहा कि उन्होंने मतपत्र पीठासीन पदाधिकारी को दे दिया है। इसके बाद न्यायाधीश ने बीडीओ को संबंधित पीठासीन पदाधिकारी का नाम व पता लिखने को कहा। सडक़ से बरामद मतपत्र अप्रयुक्त थे। लेकिन उस पर पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर थे। जस्टिस सिन्हा ने बीडीओ से पूछा कि ये मतगणना केंद्र से बाहर कैसे आए? बीडीओ यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि इनका दुरुपयोग नहीं हुआ है? बैलेट पेपर से जुड़ा मामला मोहम्मद शाहीन शेख ने हाई कोर्ट में दायर किया था। उनके वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने कोर्ट को बताया कि ये मतपत्र फर्जी हो सकते हैं। हो सकता है कि नकली मतपत्र स्वतंत्र रूप से छापे गए हों। ऐसे में राज्य में पंचायत चुनाव एक मजाक बनकर रह गया है।

इस संबंध में आयोग के वकील ने कहा कि मतदान का निपटारा हो चुका है। इस संदर्भ में याचिका दाखिल की जानी चाहिए। इस मामले को हाई कोर्ट में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। जस्टिस सिन्हा ने इसी परिप्रेक्ष्य में आयोग को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि मामले को स्वीकार करने पर अदालत बाद में फैसला करेगी। न्यायाधीश ने कहा कि कुछ लोग चुनाव जीतने को पांच साल की नौकरी मानते हैं। ये उनका पैसा कमाने का जरिया है। इसीलिए हर तरफ इतनी हिंसा हो रही है।

बैलेट पेपर से जुड़े मामले में जज ने रिटर्निंग आफिसर को 20 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मतगणना केंद्र के अंदर और बाहर के सीसीटीवी फुटेज भी मांगे गए हैं। इसे 20 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। उन्हें वहां संग्रहित किया जाएगा। इस मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी।

 

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