Sonu jha
कोलकाता : सीबीआइ ने पश्चिम बंगाल में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के जवानों की कथित अवैध भर्ती की जांच अपने हाथ में ले ली है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने पिछले सप्ताह कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर इस संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की थी।
एजेंसी ने इन आरोपों की जांच के लिए उच्च न्यायालय के निर्देश पर प्रारंभिक जांच की थी कि कई अवैध उम्मीदवारों को जाली प्रमाणपत्रों के माध्यम से सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में भर्ती किया गया था, जिसमें कुछ पाकिस्तानी नागरिकों को भी लाभ हुआ था। हालांकि सीबीआइ की रिपोर्ट से पता चला है कि सशस्त्र बलों में भर्ती के संबंध में अभी तक कोई अनियमितता नहीं पाई गई है।
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में भर्ती के संबंध में कुछ अनियमितताएं पहले ही पता चल चुकी हैं। प्रारंभिक जांच के दौरान न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने कहा कि कम से कम चार ऐसे उदाहरण सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती राज्य होने के कारण बंगाल केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं में कम कट-आफ अंक प्रदान करता है।
न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने डिप्टी सालिसिटर जनरल की दलीलों का हवाला देते हुए कहा कि निवास प्रमाण पत्र, मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र फर्जी हैं। यह अधिक गहन जांच का विषय होगा कि क्या विदेशी नागरिकों ने भी भारतीय बलों में नौकरियों के लिए आवेदन करने के लिए इसी पद्धति का सहारा लिया है।
न्यायाधीश ने कहा कि इस लिए एक एफआइआर दर्ज करने की जरूरत है और लगाए गए आरोपों की असलियत और गंभीरता का पता लगाने के लिए मामले की उचित जांच की जानी चाहिए, जिसका राष्ट्रीय प्रभाव हो सकता है। बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने मामले में सीबीआइ द्वारा जांच पर कोई आपत्ति नहीं जताई। उच्च न्यायालय ने राज्य को जांच एजेंसी को सभी सहायता प्रदान करने का भी निर्देश दिया था।