– नदिया जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर घटी घटना
– जबरन तस्करी की कोशिशों को बीएसएफ ने किया नाकाम, 50 बोतल फेंसेडिल भी जब्त
संवाददाता, कोलकाता : बंगाल के नदिया जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ जवानों व तस्करों के बीच फिर मुठभेड़ हुई है। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तारबंदी (बाड़) काटकर भारत से जबरन सामानों को पार कराने की कोशिश कर रहे तस्करों को रोके जाने पर उन्होंने जवानों पर हमला कर दिया, जिसके बाद बीएसएफ की जवाबी कार्रवाई में गोली लगने से एक बांग्लादेशी तस्कर ढेर हो गया।
बीएसएफ सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि यह घटना दक्षिण बंगाल फ्रंटियर अंतर्गत आठवीं वाहिनी की सीमा चौकी नूनागंज इलाके में गुरुवार देर रात घटी। अधिकारियों ने बताया कि ड्यूटी पर तैनात जवानों ने बहादुरी का परिचय देते हुए तस्करों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। बताया गया कि जवानों ने सीमा के पास कुछ संदिग्ध गतिविधि देखी। दो से तीन तस्कर रात के अंधेरे में कुछ सामानों को पार कराने के उद्देश्य से तारबंदी को काट रहे थे। जवानों ने तस्करों को भगाने का प्रयास किया लेकिन तस्कर ने चेतावनी को नजरंदाज कर लगातार तार काटना जारी रखा। नजदीक जाकर जब रोकना चाहा तो तस्करों ने धारदार हथियार से जवानों पर हमला कर दिया। तस्करों को तितर- बितर करने के लिए शुरुआत में जवान ने नान लीथल हथियार से दो राउंड फायर किए, लेकिन इसके बावजूद भी तस्कर नहीं रुके और आक्रामक तेवर से बढ़ते हुए हमला जारी रखा। इसके बाद आत्मरक्षा में जवान ने लीथल हथियार से एक राउंड फायर किया, जिसमें एक तस्कर की गोली लगने से मौके पर ही मृत्यु हो गई जबकि बाकी तस्कर वापस बांग्लादेश की तरफ भाग गए। मौके से 50 बोतल प्रतिबंधित फेंसेडिल कफ सिरप, लोहे का एक बड़ा दाह, तार काटने वाला कटर और टार्च भी बरामद किया गया। बीएसएफ ने घटना की जानकारी तुरंत कृष्णागंज थाना को दी गई। घटना की एफआइआर दर्ज कराने के साथ जब्त फेंसेडिल और अन्य सामानों को पुलिस को सौंप दिया गया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
तस्कर अक्सर करते हैं जवानों पर जानलेवा हमला : बीएसएफ प्रवक्ता
इधर, दक्षिण बंगाल फ्रंटियर, बीएसएफ के प्रवक्ता व डीआइजी एके आर्य ने बताया कि भारत- बांग्लादेश सीमा पर जब तस्करों को उनके गलत मंसूबों में सफ़लता नहीं मिल पाती तो वे झुंझलाकर जवानों पर अक्सर जानलेवा हमला करते हैं। जिसकी वजह से कई बार हमारे जवान गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं। उन्होंने कहा कि जवान अपनी और सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के साथ तस्करी को रोकने के लिए कड़े कदम उठाते हैं जिसके परिणामस्वरूप कई बार तस्करों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।