कोलकाता : बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास बीएसएफ की पहल से एक बार फिर बांग्लादेश में रहने वाली बेटी को अपनी मां के अंतिम दर्शन नसीब हुए हैं। एक बयान में गुरुवार को बताया गया कि यह घटना दक्षिण बंगाल फ्रंटियर अंतर्गत 68वीं वाहिनी की सीमा चौकी मधुपुर इलाके की है।
अधिकारियों ने बताया कि सीमावर्ती गांव हरिहरपुर के पंचायत सदस्य अमीनुद्दीन ने बुधवार को मधुपुर के कंपनी कमांडर को बताया कि उसके गांव की रहने वाली नूरजहां मंडल का देहांत हो गया है। महिला की बेटी, भाई और रिश्तेदार सीमा पार बांग्लादेश में रहते हैं। उन्होंने अनुरोध किया कि अगर बीएसएफ मदद कर दें तो उनकी बेटी और रिश्तेदारों को महिला के अंतिम दर्शन नसीब हो जाएंगे। इसके बाद कंपनी कमांडर ने मानवीयता और भावनात्मक पहलू को ध्यान में रखते हुए बिना कोई देर किए तुरंत अपने समकक्ष बार्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के अधिकारियों से संपर्क किया। बीएसएफ के अनुरोध के बाद बीजीबी ने भी मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए कदम आगे बढ़ाया। लिहाजा, दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों ने आपसी सहयोग के मद्देनजर मानवता को सर्वोपरि रखते हुए अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास जीरो लाइन पर महिला के अंतिम दर्शन करवाने की व्यवस्था की। अंतिम दर्शन के उपरांत सभी रिश्तेदारों ने बीएसएफ की इस पहल के लिए आभार जताया।
बीएसएफ सदैव सामाजिक व मानवीय मूल्यों का रखती है ख्याल : डीआइजी
इधर, इस प्रकरण पर दक्षिण बंगाल फ्रंटियर, बीएसएफ के जनसंपर्क अधिकारी व डीआइजी अमरीश कुमार आर्या ने बताया कि बीएसएफ के जवान सीमा पर दिन-रात बिना पलक झपकाए तैनात रहते हैं और देश की सुरक्षा के साथ ही सीमावासियों के हर सुख- दुख समेत उनके धार्मिक और सामाजिक मूल्यों का भी ख्याल रखते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बीएसएफ गलत मंशा रखने वालों के खिलाफ है, वहीं जब बात इंसानियत व मानवीय मूल्यों की आती है तो वह सदैव तत्पर रहती है।