अभिजीत हाजरा,
हावड़ा: मध्यकुल ग्रामीण हावड़ा जिले के उलुबेरिया उत्तर विधानसभा का एक सुदूर गांव है मध्यकुल। इस गांव में एक प्राइमरी स्कूल है जिसका नाम मध्यकुल प्राइमरी स्कूल ,इस इलाके में काफी गरीब लोगों का गांव है।
आमतौर पर मध्यकुल प्राइमरी स्कूल में आने वाले सभी छात्र-छात्राएं बेहद गरीब और निर्धन परिवारों के लड़के-लड़कियां होते हैं।
वे एक-दूसरे के हाथों में राखी बांधना चाहती थी और शिक्षकों को भी, लेकिन पैसा एक बाधा थी क्योंकि वे राखी खरीदने का जोखिम नहीं उठा सकते थें।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक दीपक कुमार मल्लिक ने छात्रों की इच्छाओं के बारे में जब पत्ता चला तो उन्होंने शिक्षकों से इस विषय में बातचीत की।
गांव के ज्यादातर घरों में लोग जड़ी का काम करते हैं, ऐसे ही बेकार पड़े मोतियों, लेस, गोंद और कुछ धागों से स्कूल के विद्यार्थियों ने राखी बनानी शुरू कर दी.
पहली से पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों ने बड़े उत्साह के साथ टिफिन टाइम से राखी बनाना शुरू कर दिया. राखी शिशु श्रेनी के अभिक मखल, वर्णाली माल द्वारा बनाई गई है। प्रथम श्रेणी सायन घुकू, पौलमी पात्रा।
द्वितीय श्रेणी प्यू माल. तृतीय श्रेणी वर्षा मंडल, सायन बार। चतुर्थ श्रेणी मंजूषा गायेन, जगदीश मंडल व पांचवीं कक्षा के टुसु माल, इशिता माल, बंदना पाखिरा। प्रधान शिक्षक दीपक कुमार मल्लिक, शिक्षक दुर्गा बार, सुदीप मखल, अर्पण जेले, शिक्षिका अनिता माल शिक्षकों ने छात्रों को राखी बनाने में मदद करने और प्रोत्साहित करने लगी।
सारा काम छात्र ही किये।एक-एक करके छात्र करीब सौ राखियां बनाते हैं। इसके बाद राहगीरों , शिक्षकों, विद्यार्थियों, अभिभावकों को अपने हाथों से बनी राखियां पहनाईं और भाई बहन के इस पावन पर्व को मनाया। अतः अगर सोच सही हो तो पैसे भी मायने नहीं रखती है।