Sonu jha
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में चंद्रयान-3 की सफलता का जश्न मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मनाना चाहती है। इस अनुरोध के साथ उनहू इसरो को एक पत्र भेजा है। नवान्न सूत्रों के मुताबिक जिस तरह से कोलकाता के रेड रोड पर दुर्गा पूजा का कार्निवल आयोजित होता है उसी तरह से ममता चंद्रयान की सफलता में शामिल वैज्ञानिकों के लिए एक स्वागत समारोह का आयोजन करना चाहती हैं।
अभियान की सफलता की मुख्यमंत्री ने शुरू से ही सराहना की है। वह पूरी टीम को बंगाल लाना चाहती हैं। यह बात दिगर है कि उनके ही दल के विधायक और करीबी माने जाने वाले इदरीश अली ने पिछले बुधवार को जिस दिन चंद्रयान-तीन की चंद्रमा पर लैंडिंग हुई थी उससे कुछ मिनट पहले चंद्रयान-3 मिशन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘स्टंट’ करार दिया था।
साथ ही कहा था कि मुझे समझ नहीं आ रहा है कि चंद्रयान-3 मिशन से आम और गरीब लोगों को कितना फायदा होगा। मैं इसके खिलाफ नहीं हूं। लेकिन, मेरा सवाल यह है कि क्या मिशन के पीछे खर्च की गई इतनी बड़ी रकम गरीब लोगों के विकास के लिए खर्च की जा सकती थी?
चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम 23 अगस्त को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरा। इस अभियान में योगदान देने वाले कई वैज्ञानिक बंगाल के हैं। कई तृणमूल नेताओं ने उनकी तारीफ भी की है। नवान्न सूत्रों के मुताबिक, अगर इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ सहमत हुए तो जल्द ही कोलकाता में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
सफल लैंडिंग से पहले ममता ने वैज्ञानिकों को अग्रिम बधाई दी थी। अगले दिन, विधानसभा स्पीकर बिमान बनर्जी ने इसरो को बधाई देते हुए राज्य विधानसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया। इतना ही नहीं विधानसभा की ओर से इसरो को लिखित बधाई संदेश भी भेजा गया। इसके अलावा लैंडिंग के दिन एक समारोह से ममता ने कहा कि बंगाल में बिना किसी भेदभाव के चंद्रयान-3 की सफलता का जश्न मनाया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि वे अपने तरीके से जश्न मनाएंगे। देश के किसी भी काम में हम एक हैं। हालांकि, कुछ लोगों को इस गतिविधि और ममता की तारीफ में राजनीति की बू आ रही है। प्रधानमंत्री मोदी पहले ही इसरो कार्यालय जाकर उन्हें बधाई दे चुके हैं। राजनीतिक हलकों के एक वर्ग के मुताबिक, भाजपा इसरो की इस सफलता को 2024 के लोकसभा चुनाव अभियान में उजागर कर सकती है।
राजनीतिक हलके के एक वर्ग को लगता है कि तृणमूल भाजपा को वह मौका दिए बिना पहले ही बधाई देने में व्यस्त है। हालांकि ममता के करीबी मंत्री अरूप विश्वास ने तो विधानसभा में इसरो वैज्ञानिकों को कथित तौर पर 17 माह से वेतन नहीं मिलने का मुद्दे उठाया, जिसका भाजपा ने विरोध किया था। विधानसभा स्पीकर ने भी उन्हें रोका था।