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ममता ने पीएम को लिखा पत्र, बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग की

 

 

कोलकाता : लोकसभा चुनाव से पहले बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी एक बार बंगाली अस्मिता से जुड़े मुद्दे को धार में जुट गई हैं। इस क्रम में ममता ने बांग्ला भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने की मांग करते हुए गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा। मुख्यमंत्री ने राज्य सचिवालय नवान्न में पत्रकारों से बातचीत में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि बांग्ला भाषा का इतिहास ढाई हजार साल पुराना है। उन्होंने बांग्ला भाषा के इतिहास व विकास के साक्ष्यों के साथ पीएम को पत्र भेजा है। मुख्यमंत्री ने पीएम से केंद्रीय गृह मंत्रालय को आवश्यक निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है, ताकि बांग्ला भाषा के दावे को जल्द से जल्द स्वीकार किया जा सके।

ममता ने इस दौरान बंगाल को वंचित करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत सरकार पहले ही छह भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दे चुकी है। इनमें तमिल को 2004 में, संस्कृत को 2005 में, तेलुगु और कन्नड़ को 2008 में, मलयालम को 2013 में और ओडिया को 2014 में।

उन्होंने शिकायत की कि यदि दूसरे राज्यों की भाषाओं को मान्यता मिल सकती है तो बांग्ला को क्यों नहीं मिलेगी, जिसका इतिहास इतना प्राचीन है?

ममता ने तथ्य पेश करते हुए कहा कि बांग्ला शास्त्रीय भाषा का दर्जा पाने का हकदार क्यों है। उन्होंने कहा कि इसपर बहुत सारे रिसर्च पेपर और दस्तावेज तैयार किए गए हैं। उनकी सरकार ने विशेषज्ञों से भी चर्चा की है।

ममता ने राज्य की पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि इससे पहले जो लोग सत्ता में थे, उन्होंने बांग्ला भाषा को मान्यता दिलाने को लेकर नहीं सोचा। उन्होंने आरोप लगाया कि वे राजनीति में इतने व्यस्त थे कि यह सब करने का उनके पास समय नहीं था।

बता दें कि बंगाल सरकार लंबे समय से बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग कर रही है। इससे पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी केंद्र से इसकी मांग की थी।

 

राज्य का नाम बदलने को मंजूरी नहीं मिलने की भी शिकायत की

 

ममता ने बांग्ला भाषा ही नहीं, बल्कि राज्य का नाम बदलने के प्रस्ताव को अब तक केंद्र द्वारा मंजूरी नहीं देने की भी शिकायत की। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के नाम बदलने को लेकर विधानसभा से दो बार विधेयक पारित हो चुका है, लेकिन बार-बार अनुरोध के बावजूद अभी तक केंद्र के पास यह अटका हुआ है। मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि राज्य का नाम बदलकर बांग्ला करने में आपत्ति कहां है?

उन्होंने उल्लेख किया कि बाम्बे मुंबई हो गया, मद्रास चेन्नई हो गया तो बंगाल के नाम बदलने को मंजूरी क्यों नहीं दी जा रही है। बंगाल का क्या अपराध है?

ममता ने दावा किया कि इस संबंध में केंद्र द्वारा पूछे गए सभी सवालों का भी राज्य ने जवाब दे दिया है। इसके बावजूद मंजूरी नहीं देने पर मुझे अफसोस है।

 

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