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हर तरफ हल्ला है ..मणिपुर जल रहा है लेकिन क्या है सच ?

 

डाॅ माया शंकर झा ‘राष्ट्रभाषा-रत्न’
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारत भारती समाज
कोलकाता

 

कोलकाता: सच यह है कि वर्तमान भाजपा सरकार के प्रयास से मणिपुर में अफीम का धंधा लगभग ख़त्म कर दिया गया है। सरकार ने पिछले ५ साल में १८,००० एकड से ज्यादा इलाके में अफीम के खेती को बन्द कर दिए हैं। जिन्हें नुकसान हुआ, वे इसे कुकी और मैतई के बीच जनजातीय संघर्ष बना दिया। शुरू में आम आदमी मारा जा रहा था, सब चुप थे l फिर सेना ज़मीन पर उतरी, चीन समर्थित कुकी आतंकवादी मारे गए। चीन और पाकिस्तान को धक्का लगा। चीन समर्थित हमारे विपक्षी भांड लोकतंत्र की दुहाई देने लगे। वहाँ ढेरों मंदिर और स्थानीय निवासियों के पूजा स्थल जलाये जाने लगे।

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहाँ तीन प्रमुख समुदाय हैं – मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं और ST वर्ग में आते हैं। मैतेई की आबादी करीब 66% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। मणिपुर के मूल निवासी है मैतेई आदिवासी। स्वतंत्रता के पहले मणिपुर के राजाओं के बीच में आपस में जमकर युद्ध होते थे, अनेक कमजोर मैतेई राजाओं ने युद्ध में अपनी सेना में पड़ोसी देश म्यांमार से बड़ी संख्या में कुकी और रोहिंग्या हमलावरों को अपने राज्य में बुलाया और विदेशी रोहिंग्या तथा कुकी से मिलकर शत्रुओं से युद्ध किया।

धीरे-धीरे कुकी हमलावरों ने मणिपुर में अपना निवास बनाना शुरू किया और परिवार बढ़ाना शुरू किया। देखते ही देखते कुकी जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी। बेहद आक्रामक और हमलावर कुकियों ने मणिपुर की ऊँची-ऊँची पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया। मैतई आदिवासियों को वहाँ से भगा दिया। मैतेई आदिवासी भागकर मणिपुर के मैदानी इलाकों में आकर रहने लगे।

विदेशी कुकी रोहिंग्या ने मणिपुर की ऊँची पहाड़ियों पर अफीम की खेती आरंभ कर दी। मणिपुर की सीमा चीन और म्यांमार से लगी है। चीन ने मणिपुर पर नजरें डालना शुरू किया और भारत के कुछ विरोधी दलों को सहायता देना शुरू किया। पाकिस्तान ने भी म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिमों के माध्यम से मणिपुर में घुसपैठ शुरू कर दी और बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिमों को मणिपुर में धकेल दिया गया।

यहाँ सबसे बड़ा षड्यंत्र रचा क्रिश्चियन मिशनरीज ने। मिशनरीज ने मणिपुर के पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों में २००० से अधिक चर्च बनाए और बेहद तेजी से धर्म परिवर्तन कराना शुरू कर दिया। जिसमें सबसे ज्यादा मैतेई आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कर उन्हें क्रिश्चन बना दिया गया।

पहले भी मणिपुर में निरंतर हिंसा हो रही थी। वर्ष १९८१ में भीषण हिंसा हुई थी। उस समय इंदिरा गाँधी प्रधानमंत्री थीं। १०,००० से अधिक मैतई आदिवासी मारे गए थे। उसके बाद इंदिरा गाँधी ने सेना को भेजकर वहाँ शांति स्थापित की थीं। शांति समझौते में यह निर्णय हुआ था कि मैतेई मैदान में रहेंगे और कुकी-नगा ऊपर पहाड़ियों पर रहेंगे।

जिसमें मूल निवासी मैतेई का बहुत नुकसान हो गया। धीरे-धीरे कुकी, रोहिंग्या और नगा समाज ने मणिपुर की ऊँची पहाड़ियों पर अफीम की बेशुमार खेती शुरू कर दी। हजारों खेतों में अफीम की खेती शुरू हो गई, खरबों रुपए का व्यापार होने लगा इस कारण नशीले पदार्थ का माफिया और आतंकवादी संगठन सक्रिय हो गए। वे चीन समर्थित कुकी रोहिंग्या नगा को जमकर हथियारों की आपूर्ति करने लगे। कुकी, नागा और रोहिंग्या तीनों ने मैतेई समुदाय के विरुद्ध प्रायोजित आतंकवादी संगठन बनाने लगे। चीन और पाकिस्तान से उन्हें मुफ्त हथियार मिलना शुरु हो गया।

वर्ष 2008 में फिर जोरदार गृह युद्ध शुरू हो गया तब कांग्रेस के सोनिया गांधी के निर्देश पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने कुकी तथा परिवर्तित क्रिश्चन के साथ मिलकर मैतई आदिवासियों के साथ समझौता किया और मणिपुर की ऊँची पहाड़ियों पर अफीम की खेती को अधिकृत मान्यता देकर मणिपुर सरकार से पुलिस कार्रवाई न करने का आश्वासन दिया।

इसके बाद मणिपुर से पूरे भारत में तेजी से नशीले पदार्थों को भेजा जाने लगा। मणिपुर नशीले पदार्थों का गोल्डन ट्रायंगल बन गया। चीन, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और म्यांमार से तेजी से आर्थिक मदद आने लगे। मणिपुर से उगाई गई अफीम को भारत के अन्य राज्यों में भेजकर उन राज्यों को नशीला बनाना का षड्यंत्र शुरू कर दिया गया।

सियासी समीकरण बनना प्रारंभ हुआ :

मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई आदिवासी समुदाय से और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही नागा-कुकी जनजाति से रहे हैं। कांग्रेस के एकांश नागा-कुकी के समर्थन में उतर कर हाईकोर्ट से दिए गए आदेश कि “मैतेई को भी ST कोटे में आरक्षित किया जाए” के विरोध में प्रदर्शन करने लगे। जिससे वहाँ के नागा-कुकी जो ईसाई धर्म स्वीकार कर लिए हैं, उन्हें मनोबल बढा और वे हिंसात्मक गतिविधियों का सहारा लेकर मैतेई समुदाय पर आक्रमण करने लगे।

राजनीतिक दलों ने अपना अपना समीकरण बनाना शुरु किया। कुकी और नागा दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बँटवारा होगा।

मैतेई समुदाय के पास 40 विधायक हैं जो भाजपा का समर्थक है। नागा-कुकी के पास सिर्फ 20 विधायक हैं जो कांग्रेस के अथवा अन्य राजनीतिक दलों के समर्थक हैं। कांग्रेस के एकांश को डर सता रहा है कि पहले से ही वहाँ 40 विधायक मैतेई समुदाय के पास है। अब यदि उन्हें ST कोटा मिल जाता है तो कुछ और विधायक उनके समुदाय से आ जाएंगे। नगा-कुकी के पास विधायकों की संख्या बहुत कम हो जाएगी। फिर वहाँ कांग्रेस कमजोर पड़ जाएगा। अतएव, परोक्ष रूप से वे नगा-कुकी द्वारा हिंसात्मक गतिविधियों का समर्थन करने लगे और उन्हें वे सभी साधन मुहैया कराने लगे जो हिंसा भरकाने के लिए जरूरी होता है।

केंद्र में वर्ष २०१४ में सरकार बदली :

केंद्र सरकार की नजरें पूरे भारत पर थी जहाँ जहाँ धर्म परिवर्तन हो रहे थे, जहाँ पर हिंदू खतरे में दिखाई दे रहे थे, जो राज्य भारत से अलग होने की फिराक में थे —- केंद्र सरकार ने उन सभी राज्यों को पहचान कर धीरे-धीरे कार्रवाई शुरू कर दी। असम, नागालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, केरल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, तमिलनाडु, राजस्थान, छत्तीसगढ, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में केंद्र सरकार ने प्रशासकीय तरीके से काम करना शुरू किया। जम्मू कश्मीर और असम में सफलता भी मिली।

वर्ष २०२३ के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पहली बार मणिपुर में सफलता मिली और कांग्रेस से बीजेपी में आए वीरेंद्र सिंह जी को भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री बना दिया। मैतेई समाज के मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह जी ३० वर्षों से मणिपुर में राजनीति कर रहे हैं और उन्हें मणिपुर की मूल समस्या मालूम थी। वीरेंद्र सिंह खुद ही मैतई समाज से आते हैं और आदिवासियों की समस्या को जानते हैं। नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह जी ने वीरेंद्र सिंह को पहाड़ियों पर कुकी रोहिंग्या द्वारा अफीम की खेती बंद करने के निर्देश दिए। जिसके बाद मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह जी ने अफीम की खेती को बन्द करने की नोटिस दे दिया। हजारों एकड़ खेती में लगे अफीम के पौधों को नष्ट कर दिया गया। इससे कुकी और क्रिश्चियन मिशनरीज, रोहिंग्या के समर्थक चीन और पाकिस्तान में खलबली मच गई। वे किसी तरह मणिपुर में दोबारा अफीम की खेती आरंभ करना चाहते हैं।

आजादी के पहले से ही मैतई समाज को आदिवासी समाज का दर्जा हासिल था और वह एसटी (ST) वर्ग में आते थे। लेकिन आजादी के बाद, चीन समर्थक तत्कालीन केंद्र सरकार ने मैतई समाज को एसटी (ST) वर्ग से बाहर निकालकर क्रिश्चियन मिशनरी तथा कुकी समुदाय को एसटी बना दिया। इस बात से मैतई समाज नाराज हो गए और निरंतर आक्रोश प्रदर्शन करने लगे। जिस कारण बार-बार मणिपुर में हिंसा होने लगी।

मैतई समाज ने वर्ष २०१० में मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मैतई समुदाय को एसटी (ST) वर्ग में शामिल करने की माँग की। इस वर्ष २०२३ में हाईकोर्ट ने मैतई समाज के दावे को मंजूर किया और मैतई समाज को दुबारा आदिवासी वर्ग में शामिल करने के आदेश जारी किए। चूंकि क्रिश्चियन और कुकी- नगा वर्ग अफीम की खेती बंद करने से तथा मिशनरीज के धर्म प्रसार को रोके जाने से पहले से ही नाराज थे, उनपर हाईकोर्ट का आदेश कटे पर नमक डालने वाली बात हो गई। अतएव, कुकी और नागा क्रिश्चियन ने मणिपुर के मंदिरों, धर्म-स्थलों और मैतई समुदाय के घरों में आग लगाकर हिंसा भरकाना शुरु कर दिया।

भाजपा का साथ मैतेई को तो मिला लेकिन नागा-कुकी को चाईना द्वारा आधुनिक अस्त्र-शस्त्र मुहैया कराने के आगे प्रशासन की बंदूकें कमजोर पड़ गई। अतएव, परिस्थिति को सम्हालने में विफल होते गए। अंततोगत्वा दो आरोपी पकड़े गए हैं। आशा करता हूँ अब वहाँ बहुत जल्द सबकुछ ठीक हो जाएगा।

अधिकार और कर्तव्य की लड़ाई :

आज मणिपुर में जो हिंसा दिखाई दे रही है वह भारत के मैतई समुदाय के लिए कुछ मायने में अधिकार की लड़ाई है। क्योंकि, वहाँ के कुकी रोहिंग्या और नागा क्रिश्चियन मिलकर एक नया देश बनाना चाहते थे। मैतई समुदाय को निर्वासित करना और अपना अधिपत्य जमाना उनका मुख्य उद्देश्य था। इस उद्देश्य को मैतई समुदाय भाँप गए थे। अतएव, मैतई समाज ने अपना अधिकार पाने के लिए विरोध प्रदर्शन करना उचित समझा और कुकी-नगा समर्थित क्रिश्चियन मिशनरीज के लगभग ३०० चर्च तोड़कर नष्ट कर दिए। क्रिश्चियन मिशनरी पर हमले किए। अपना रोष जाहिर किए। मैतई समुदाय के इस आक्रोश को दबाने के लिए हमारे देश के कूछ विपक्ष के साथ चाईना, अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने वहाँ के कुकी रोहिंग्या और नगा क्रिश्चियन को समर्थन देना शुरु किया और आधुनिक अस्त्र-शस्त्र मूहैया कराने लगा, जिसके सामने मैतई समुदाय की बंदूकें हार मानने लगी।

यह सत्य है कि वर्ष २०१४ में भाजपा की सरकार यदि नहीं बनती तो चीन धीरे-धीरे मणिपुर पर कब्जा कर लेता। बेहद चालाकी से भाजपा की सरकार ने मणिपुर में वहाँ के मूल नागरिकों को उनका अधिकार दिलाना शुरू किया। यह बात कांग्रेस समेत अन्य विपक्षियों को खल गई l वे चक्रांत रचने लगे। षड्यंत्र करने लगे। चक्रव्यूह बनाकर भाजपा सरकार को घेरने लगे। संसद में हल्ला मचाने लगे। शोर-शराबे कर संसद को अवरुद्ध करने का प्रयास करने लगे।

पिछले ७० सालों से मणिपुर पर कांग्रेस का कब्जा था अपने हाथ से मणिपुर जाने के बाद तथा क्रिश्चियन मिशनरीज का काम रुकवाने से नाराज कांग्रेस और कुछ अन्य विरोधी दल मणिपुर हिंसा को लेकर मोदी सरकार को बदनाम करने का मुहीम चला रहे हैं। सच को झूठ और फरेब के ढाँचें में ऐसे सजा रहे हैं कि देश की जनता भ्रमित होकर भाजपा और मोदी जी से नफरत करने लगे।

उपसंहार :

अब जब आरोपी पकड़े गए हैं तो कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों द्वारा दूसरा रास्ता अपना लिया गया। वह अब संसद को ही अवरुद्ध करना चाहता है जिससे उनपर मणिपुर हिंसा का आरोप न सिद्ध हो पाये साथ ही साथ अध्यादेश समेत सभी 31 बिल पास न हो सके। यह सब देखकर ऐसा लग रहा है कि देश बड़ा ही भयावह स्थिति में है। हमें बहुत सोच समझकर कर निर्णय लेना होगा। सत्य को परोसना होगा। जनमानस को जगाना होगा। संसद की गरिमा को बचाना होगा। देश बचेगा तो हम बचेंगे। मैं हिंसात्मक गतिविधियों को किसी भी तरह से प्रश्रय नहीं देना चाहता। यह सत्य है कि हिंसा-लूट-मिलावट-भ्रष्टाचार गलत है। इससे हमें बचना चाहिए। लेकिन अपने अधिकार के लिए लड़ना भी आवश्यक है। मैतई समुदाय ने अपने अधिकार के लिए अपने कर्तव्यबोध को जगाकर कुकी और नगा से लड़ाई की है। यह उसका जन्म सिद्ध अधिकार और कर्तव्य दोनों है कि वह अपनी खोई शक्ति प्राप्त करे।

मणिपुर हिंसा की असली वजह यही है। आशा करता हूँ अब आप समझ गए होंगे कि कौन दल गद्दार है, कौन मीडिया-पत्रकार गद्दार है। यह भी समझ गए होंगे कि सभी विपक्ष एक साथ मिलकर भाजपा सरकार के खिलाफ क्यों सक्रिय हैं। क्यों कांग्रेस के युवराज सोनिया जी के निर्देश पर कुकी-रोहिंग्या-नागा क्रिश्चियन को बचाने के लिए वहाँ दौरा कर रहे थे।

सारांश यह है कि हमारा देश षड्यंत्र का शिकार है। वर्तमान केंद्र सरकार को चक्रव्यूह बनाकर घेरने की पूरी तैयारी है। सभी भ्रष्ट नेतृत्व को CBI और ED से बचने के लिए एक मंच पर आना मजबूरी थी। अब वे सभी भ्रष्ट नेतृत्व ‘INDIA’ नामक मंच बनाकर हमारे INDIA की गरिमामय इतिहास को नष्ट करना चाहते हैं। नाना प्रकार के षड्यंत्र रचा जा रहा है। हमें उनके उन सभी षड्यंत्रों से बचना है। सदा सजग रहना है।

 

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