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ऑनलाइन फ्रॉड होने से बाल – बाल बच गए मध्यमग्राम के एक युवक

 

धर्मवीर कुमार सिंह,

कोलकाता:मध्यमग्राम के एक युवक जिनका नाम अमित दत्ता है वह बाल – बाल बच गए ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार होने से l डिजिटल होने के बाद जीवन काफी ज्यादा आसान हो गया है तो वहीं दूसरी तरफ लोग ऑनलाइन के माध्यम से ट्रांजैक्शन करके फ्रॉड का शिकार भी बना रहे हैं । अमित दत्ता  ने हमारे संवाददाता धर्मवीर कुमार सिंह को जानकारी देते हुए बताया की खाते में फोनपे के माध्यम से किसी ने 463 रुपए जमा कर दिए वह भी दिन में दो बार जैसे इसकी सूचना अमित दत्ता को मिली की उनके खाते में एक ही दिन में दो बार पैसे जमा कर दिए गए हैं और पैसा वापस मांगने के लिए धमकी भरा कॉल बार-बार किया जा रहा है तो वह कुछ दिन से मानसिक तनाव में थे जब तनाव काफी ज्यादा बढ़ गया तो उन्होंने अपने नजदीकी थाना मध्यमग्राम में इसकी शिकायत दर्ज कराई वहां मौजूद ऑफिसर ने बताया कि किसी को भी आपको पैसे ऑनलाइन के माध्यम से वापस नहीं करना है यदि आप ऐसा करते हैं तो आपका बैंक डिटेल्स उसके पास चला जाएगा और आपका अकाउंट खाली हो सकता है l तो बेहतर है कि यदि उसके पैसे आपके अकाउंट में आ गए हैं तो उसे आप कैश के रूप में वापस कर दीजिए ।

 

डिजिटल हो रही दुनिया में साइबर अपराध का स्वरूप वैसे तो वर्षो पहले ही आ चुका था। परंतु कोविड महामारी की चपेट में आने के बाद से देश में साइबर धोखाधड़ी के मामलों में व्यापक वृद्धि हुई है।  आजकल अधिकांश लोग रोजमर्रा की जिंदगी से संबंधित चीजों से निपटने में स्मार्टफोन और कंप्यूटर का बहुत अधिक उपयोग करते हैं। ऐसे में एक आशंका यह भी है कि बड़ी संख्या में लोगों के आनलाइन होने के कारण साइबर अपराधी आसानी से उन्हें निशाना बना लेते हैं।

 

देश में वित्तीय सेवाएं लेने वाले अधिकांश ग्राहकों ने डिजिटल बैंकिंग को अत्यंत उत्साह के साथ अपनाया, परंतु चिंता की बात यह है कि बैंकिंग फर्जीवाड़े का सबसे बड़ा शिकार भी उन्हें ही होना पड़ा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, साइबर धोखाधड़ी का शिकार होने वालों में बुजुर्गो की संख्या ज्यादा है। निश्चित तौर पर, साइबर सुरक्षा को लेकर सदैव सवाल खड़े होते रहे हैं ।

सतर्कता का अभाव : वैसे तो भारत सरकार डिजिटल भारत की ओर कदम दर कदम बढ़ाती जा रही है, आज इंटरनेट, नेट बैंकिंग और यूपीआइ तक आ पहुंचा है जिसका प्रचलन ठेले पर सब्जी बेचने वाले से लेकर गांव के किसान और श्रमिक वर्ग तक तेजी से बढ़ा है। वहीं जागरूकता और सतर्कता की कमी के कारण इनमें से अधिकांश को डिजिटल फ्राड से भारी क्षति भी उठानी पड़ी है।

 

प्रशिक्षण की कमी और बढ़ते साइबर धोखाधड़ी के कारण किसानों, मजदूरों और श्रमिक वर्गो के लिए यह उनके विरुद्ध होने वाली ठगी का भी एक बड़ा कारण बन रहा है। इसी वजह से आज लोगों का आनलाइन सुरक्षा पर विश्वास नहीं बन पा रहा है। ऐसे में सबसे पहली आवश्यकता इस बात की है कि प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक किया जाए जाए ।

आज गांव-गलियारों में एक छोटी सी दुकान पर भी आनलाइन पेमेंट का माध्यम उपलब्ध होता है। इसके साथ ही हमारे संवाददाता को अमित दत्ता ने बताया की ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को लेकर लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है आज यदि लोग जागरूक होंगे तो ऑनलाइन फ्रॉड से आसानी से बच सकते हैं।

 

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