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एनजीटी ने संतरागाछी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए भूमि आवंटन में देरी पर दक्षिण पूर्व रेलवे से जवाब मांगा

हावड़ा : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बंगाल के हावड़ा जिले में स्थित प्रसिद्ध संतरागाछी पक्षी अभयारण्य के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की स्थापना के लिए बंगाल सरकार को भूमि आवंटन में देरी पर दक्षिण पूर्व रेलवे से स्पष्टीकरण मांगा है।रेलवे को इस संबंध में एनजीटी को एक हलफनामा सौंपने के लिए कहा गया है।
घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि जुलाई 2022 में एनजीटी ने अगले छह महीने के भीतर एसटीएफ की स्थापना का काम पूरा करने का निर्देश दिया था।हालांकि, तब से 15 महीने बीत चुके हैं और इस संबंध में कोई प्रगति नहीं हुई है, जिस पर ट्रिब्यूनल ने ध्यान दिया था।

पता चला है कि राज्य सरकार ने रेलवे अधिकारियों द्वारा भूमि आवंटन में देरी के कारण परियोजना को अनिश्चित काल के लिए विलंबित करने की शिकायत की है।इस मामले में रेलवे का भी अपना तर्क है। इसके अनुसार, जब तक पक्षी विहार के प्रतिबंधित क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने में राज्य सरकार का सहयोग नहीं मिलेगा, तब तक प्रस्तावित एसटीपी के लिए जमीन मुहैया कराना असंभव है।

हालांकि, हावड़ा जिला प्रशासन के अधिकारियों ने दावा किया है कि रेल विभाग भूमि उपलब्ध नहीं कराने के लिए अतिक्रमण मुद्दे को सिर्फ एक बहाने के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।बता दें कि साल 2016 में संतरागाछी पक्षी अभयारण्य के अत्यधिक प्रदूषण से प्रभावित होने को लेकर एनजीटी में मामला दायर किया गया था। 2017 में ट्रिब्यूनल ने वहां एसटीपी स्थापित करने के लिए आदेश पारित किया था।इसने सीवेज को सीधे एसटीपी तक पहुंचाने के लिए अभयारण्य के चारों ओर सीवरों की एक श्रृंखला बनाने का भी आदेश दिया।

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